मेरी पहली चुदाई की दास्तान – 1

नमस्कार दोस्तो ।
मैं कोमल आप सबके सामने एक और कहानी के साथ हाज़िर हूँ।मेरी पिछली सभी कहानियों को पसंद करने के लिए आप सभी का दिल से धन्यवाद।दोस्तों आप लोगो के मेल मुझे मिलते रहते हैं और मेरे कई अच्छे दोस्त बने है।जिनमे से एक दोस्त की कहानी आज आप लोग पढेंगे।उनका नाम है मधु शर्मा।उन्होंने अपनी कहानी मुझे मेल की जिसे आप लोगों के सामने पेश कर रही हूं।तो चलते हैं कहानी की तरफ।

नमस्कार दोस्तो।मेरा नाम मधु है और मेरी वर्तमान उम्र 46 साल की है।आप लोगो को अपनी जो कहानी बताने जा रही हूं वो आज से लगभग 28 साल पुरानी है।उस वक्त मैं 18 या 19 साल की थी।


दोस्तो जिंदगी में कोई भी व्यक्ति अपनी पहली चुदाई को कभी नही भूल सकता चाहे वो मर्द हो या औरत। वैसा ही हाल मेरा है, चाहकर भी मुझे अपनी पहली चुदाई कभी नहीं भूलती ।वो मेरी योनि की सील का टूटना और बेइंतहा दर्द आज भी मुझे अच्छे से याद है।


दोस्तो जब मैं 22 साल की थी तब मेरी शादी हुई मगर उससे पहले मैंने चुदाई का इतना मजा लिया कि शायद ही शादी के बाद वैसा मजा मिला हो।दोस्तो अभी तो मैं लखनऊ में रह रही हूं मगर शादी के पहले मैं एक छोटे से गाँव में रहा करती थी। शादी के बाद मैं लखनऊ में अपनी ससुराल में आ गई।तो दोस्तो चलते हैं मेरी जिंदगी के उस हिस्से में जब मैं गाँव में अपने माता पिता के साथ रहा करती थी। और कैसे मेरी चढ़ती हुई जवानी के दीवाने मेरे पीछे लाइन लगा कर खड़े रहते थे।


दोस्तों मेरे घर पर मेरे माता पिता मेरा बड़ा भाई और मेरी भाभी और मैं रहा करते थे।मेरे पिता और भाई दोनो खेती का काम किया करते थे।गांव में हम लोग काफी संपन्न लोगो मे से थे।मेरे भाई ज्यादा पढ़े लिखे नही थे मगर मेरी पढ़ाई के प्रति रुचि देख घर के लोग मुझे पढ़ाना चाहते थे।गाँव मे मेरी कुछ ही सहेलियां थी जिनकी पढ़ाई जारी थी हमारे गाँव मे केवल 10वी तक ही स्कूल थी आगे की पढ़ाई के लिए हमे दूसरे गांव जाना पड़ता जो कि 5 किलोमीटर दूर था।


दोस्तो जब मैं 10वी में थी तभी से मेरा बदन काफी भरा गदराया हुआ था।।गाँव मे जब मैं निकलती तो चाहे मेरी उम्र के लड़के हो या शादीशुदा अधेड़ उम्र के आदमी सभी की निगाह मेरे तने हुए बड़े बड़े चूचे पर और मेरी उभरी हुई चूतड़ मतलब गाँड़ पर टिक जाती।मैं भी उस समय तक सब जानने समझने लगी थी की वो लोग ऐसा क्या देखते थे।औरत मर्द के बीच क्या संबंध बनाए जाते हैं इन सबकी जानकारी मुझे थी।


घर में मेरे कमरे के बगल में ही मेरे भईया भाभी का कमरा था और अक्सर रात में मेरी भाभी की जोश से भरी हुई आहें मुझे सुनाई दिया करती थी।मेरे और भाभी के बीच हँसी मजाक चलता रहता था, और उनके द्वारा ही मुझे काफी कुछ सीखने और जानने को मिला।उसके अलावा भी मेरी कुछ सहेलियां थी जिन्होंने चुदाई का खेल खेला हुआ था उनके द्वारा भी मुझे सब पता चलता रहता था।


रात में अक्सर मेरे हाथ मेरी चूत को सहलाया करते क्योंकि कही न कही अब मुझे भी किसी साथी की जरूरत महसूस हुआ करती थी।दिखने में मैं काफी सुंदर गोरी और भरे बदन की लड़की थी। गांव के कई लड़के मेरे दीवाने थे मगर मुझे कोई पसंद नही आता था।और गाँव में जो मुझे अच्छा लगता था उसकी शादी हो चुकी थी ।मगर वो भी मुझे तिरछी नजरो से देखा करता था।उम्र में वो मुझसे करीब 15 साल बड़ा जरूर था मगर मन ही मन में वो मुझे काफी पसंद था,उसका नाम किशोर था।


एक बार की बात है होली का दिन था और हम सब सहेलियां होली खेलने के बाद नदी में नहाने के लिए गई हुई थी।हम लोगो ने थोड़ी बहुत भांग भी पी हुई थी।नदी में नहाने के बाद मेरी बाकी सहेलियां तो अपने घर चली गई मगर मैं और मेरी एक और सहेली कुछ देर और नदी में रुकने का मन बनाया और नहाने के बाद वैसे ही गीले भीगे हुए कपड़ो में नदी के किनारे रेत पर लेट गईं।हमारे गीले कपड़े बदन से कुछ ऐसे चिपके हुए थे कि अंदर का हर एक अंग साफ साफ झलक रहा था।

वैसे ही लेटे लेटे हम दोनों की आँख लग गई।कुछ समय बाद अचानक से मेरी आँख खुली तो मैने देखा कि मेरे सामने किशोर खड़ा हुआ था और मेरे बदन को निहार रहा था।मैंने जल्दी से अपनी सहेली को उठाया और हम दोनों वहाँ से वापस घर की तरफ़ चल दिये।आधे रास्ते पर मुझे याद आया कि मै अपने कपड़े वही भूल आई थी।

मैंने अपनी सहेली को साथ चलने के लिए कहा मगर वो नही गई।मैं अकेली वापस नदी पर गई और देखा कि किशोर नहा रहा था।और दूर से ही मुझे देखकर नदी से निकल कर बाहर आ गया।उस वक्त उसने केवल एक चड्डी पहनी हुई थी।मेरी तिरछी नजर उसके तने हुए चड्डी पर जा रही थी।मैने चुपचाप अपने कपड़े उठाये और आने लगी।तभी किशोर की आवाज आई।”

अरे कोई हमारे साथ भी तो नहा ले “मैंने अपनी गर्दन पीछे की तरफ घुमाई और मुश्कुराते हुए उसे देखी और वहाँ से भाग आई।शायद मेरे मुस्कुराने का ही असर था कि अब वो रोज मेरे घर के आसपास चक्कर लगाने लगा और मेरे स्कूल के समय भी रास्ते में मुझे देखता और मुश्कुराता ।कभी कभी मेरे चेहरे पर भी हल्की मुश्कान आ जाती।

इसी तरह मैने अपने गाँव के स्कूल से 10वी पास कर ली और अब मुझे आगे की पढ़ाई के लिए दूसरे गाँव जाना था। मैं और मेरी दो सहेलियां हम तीन लडकिया ही वहाँ जाती थी।स्कूल के रास्ते में ही गाँव से कुछ दूरी पर किशोर का खेत पड़ता था और वो रोज आते और जाते समय मुझे निहारने लगा।मेरे साथ मेरी सहेलियां रहती थी इसलिए वो कुछ कह नही पाता था।

मगर एक दिन उसे वो मौका मिल गया ।मेरी दोनो सहेलियां उस दिन स्कूल नही गई और मैं अकेली ही स्कूल गई थी।हम लोग पैदल ही स्कूल जाते थे और गाँव के बाद जब खेत का इलाका खत्म होता था तो थोड़ा सा जंगल पड़ता था।उस दिन किशोर ने मुझे अकेले स्कूल जाते हुए देख लिया था और जब मैं स्कूल से वापस आ रही थी मैंने देखा कि जंगल में किशोर बीच रास्ते में अपनी सायकल लेकर खड़ा था। 

उसे देखकर मेरी चाल थोड़ी धीमी पड़ गई मैंने पीछे पलट कर देखा दूर दूर तक कोई नहीं था।मैं समझ गई कि वो आज मुझे कुछ न कुछ जरूर बोलने वाला है।मैं जब उसके पास पहुँची तो उसके बगल से निकलने लगी अचानक से उसने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे रुकने के लिए कहा।मेरे कदम वही थम गए, शायद मेरे कदम इसलिए रुके क्योंकि मैं भी उसे पसंद करने लगी थी।मैं अपनी नजरे दूसरी तरफ किये हुए बोली,,,,
क्या है, मुझे ऐसे क्यो रोक लिए।
कुछ बात करनी है तुमसे।
क्या बात।


मैं तुम्हे पसंद करता हूँ बस यही बताने के लिए तुम्हे रोका है।अगर तुम्हारे दिल में भी मेरे लिए कुछ है तो अपना जवाब देना नही तो मैं दुबारा तुम्हे परेशान नही करूंगा।


मगर तुम शादीशुदा हो और मुझसे इतने बड़े भी हो किसी को पता चलेगा तो पूरे गाँव में बदनामी हो जायेगी।
मुझपर विश्वास करो ऐसा कुछ नही होगा किसी को पता नहीं चलेगा ये बात केवल हम दोनों तक ही रहेगी।तुमसे ज्यादा डर तो मुझे है मेरी पहले से बीबी बच्चे हैं ।

मैं उसकी तरफ़ मुश्कुराते हुए देखी और अपना हाथ छुड़ाते हुए बोली कल नदी के पास मिलना तब बताऊंगी अपना जवाब।और मैं वहाँ से दौड़ते हुए भाग आई।


सारी रात मैं करवटे बदलती रही और उसकी बातों को सोचती रही।क्या मैं सही कर रही हूँ या गलत ।मगर मेरी कुँवारी जवानी ने शायद मुझे बहका दिया और मैने उसे हा करने का फैसला कर लिया।

अगले दिन स्कूल की छुट्टी थी और मैं घर पर ही थी।घर के काम से फुर्सत होकर दोपहर करीब 3 बजे मैं अकेली ही नदी की तरफ चल दी।किशोर पहले से ही वहाँ मौजूद था।उस वक्त नदी के आसपास कोई भी नजर नहीं आ रहा था।मुझे देखते ही किशोर मेरे पास आ गया और बोला।बताओ क्या सोचा तुमने।


सोचना क्या है तुम भी मुझे पसंद हो मगर ये बात कभी किसी को पता नहीं चलनी चाहिए।
कभी नहीं चलेगी मैं कभी किसी को नही बताऊंगा।

इतने में ही हमे किसी की आहट सुनाई दी और किशोर ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे नदी के किनारे टीले के बीच ले गया।टीले के बीच एक दरार थी वही झाड़ियों में हम लोग छुप गए।हमे वहाँ कोई नही देख सकता था।


उस वक्त किशोर मुझे अपने सीने से लगाये हुए था क्योंकि वो जगह काफी सकरी थी मैं किशोर से चिपकी हुई थी।मेरे उभरे हुए दोनो दूध उसके सीने पर दबे जा रहे थे, मेरी सांस काफी तेज रफ्तार से चल रही थी।हम दोनों बिलकुल शांत होकर एक दूसरे की आखों में देखे जा रहे थे।मुझे डर भी लग रहा था कही कोई देख न ले।

किशोर का चेहरा मेरे चेहरे के पास आता गया और ऐसे ही करते हुए उसने मेरे गुलाबी होठो पर अपने होठ रख दिये।वो मेरी जिंदगी का पहला चुम्मन था।मेरे हाथ भी किशोर के बालों पर चलने लगे, हम दोनों के बदन एक दूसरे से चिपक गए।मेरे पेट के पास कुछ कठोर सा चीज चुभ रहा था मैंने ध्यान दिया तो वो किशोर का तना हुआ लंड था।

मैने कभी भी किसी मर्द का लंड नही देखा था।उस वक्त भी उसका लंड उसके पेंट के अंदर था, बस उसके छूने से इसका अहसास हो रहा था।देखते ही देखते किशोर का एक हाथ मेरी कमर से होता हुआ मेरे पिछवाड़े तक चला गया और वो मेरी चूतड़ को सहलाने लगा।मैं तुरंत ही उसका हाथ पकड़ कर अलग कर दी और उससे अलग हो गई।

मैं उस वक्त वो सब नही करना चाहती थी और उसने भी इस बात को समझते हुए कुछ नहीं किया।उसके बाद कुछ समय बाद जब वहां कोई नही था तो हम लोग अपने अपने घर की तरफ़ चल दिये। रात भर मेरे आँखों से नींद गायब थी और मैं अपने पहले चुम्मन के अहसास को याद करते हुए जागती रही।


दोस्तों मिलते हैं कहानी के अगले भाग में जिसमे आप मेरी पहली चुदाई की कहानी पढेंगे।इसके अलावा भी मैंने किन किन लोगों के साथ बिस्तर पर मजे किये ये सब कहानी के आने वाले भाग में आप पढेंगे।

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