नमस्कार दोस्तों कैसे हो आप सब मेरा नाम है राहुल और मैं अब मेरी पुरानी कहानी को ही आगे बढ़ा रहा हूं अगर आपने मेरी वह कहानी नहीं पड़ी है तो आप नीचे दिए गए लिंक पर जाकर उसे पढ़ सकते हैं अब मैं आपका समय नष्ट ना करते हुए कहानी को आगे बढ़ाता हूं।
मेरे पिछले स्टोरी में मैंने आप लोगों को बताया था किस तरीके से राज जो कि अब मेरा जीजा है वह मेरी मां पर डोरे डालने लगा और इसी बीच मेरे पिताजी का ट्रांसफर दूसरे प्रदेश में हो गया था , तो मेरी माँ अकेली रहने लगी थी ।
मां ने अकेले पन दूर करने के लिए राज पर डोरे डालना शुरू किया और अंततः राज ने मेरी मां को बिस्तर में लिटा ही दिया यह कहानी अब वहीं से आगे होती है।
राज अपना लंड मेरी मां के मुंह से बाहर निकालता है। राज के लंड पूरी तरीके से थूक में डूबा हुआ रहता है
मेरी मां कहती है बहुत मजा आया तुम्हारा लंड चूसने के बाद।
तुम्हारी बेटी भी यही कहती है सासू मां ! तुम मां बेटी मेरे लंड के दीवाने हो जाओगे।
हां तुम सही कह रहे हो चलो , अब मेरी चूत को और मत तड़पाओ ….मेरी चूत में अपना लंड पर दो।
क्योंकि राज ने पहले ही मेरी मां की चूत को चाट कर झाड़ दिया था , इसलिए वह गीली थी मगर इसके बावजूद राज ने मां के ड्रेसिंग टेबल से तेल उठाया और मां की चूत पर मलने लगा और मां की चूत को मसाज देने लगा।
मां बार-बार अपनी टांगों को बंद कर ले रही थी मगर इसके बावजूद राज लगातार अपने हाथ को मेरी मां की चूत के ऊपर सहला रहा था,
अब एक बार फिर से राज ने मेरी मां की चूत में दो उंगलियां डालकर अंदर बाहर करना शुरू किया , मेरी मां की सिसकारियां निकलने शुरू हो गई थी।
अब मा ने राज को अपने ऊपर खींच लिया और राज ने मेरी मां के होठों से होठ मिलाकर उनका रसपान करने लगा। नीचे से वह अपनी उंगलियों से बराबर मां की चूत को फैला रहा था।
अब मेरी मां एक बार फिर से चरम सीमा पर आ गई और थोड़ी देर बाद एक बार फिर से झड़ गई अब मेरी मां के शरीर काँपने लगा था।
” हहह क्या कर रहे हो दामाद जी, उफ़्फ़फ़ सिर्फ उंगलियों से ही शांत करने का इरादा है क्या आपका।”
“नहीं सासु मां सोचा कि आपको थोड़ा सा और मजा दे दूं “
अब यह कहकर वह मेरी मां की चूत के पास आ गया और मां के दोनों पैरों को अपने दोनों हाथों में भर लिया और उन्हें खींच के अपने लंड की ओर किया।
मां की थूक से सारोबार राज का लन्ड लाल रोशनी में एकदम चमक रहा था । उसने वह लन्ड अब मां की चूत के मुहाने पर लगाया और उसे रगड़ने लगा।
अब और मत तड़पाओ मुझे!!! मैं पागल हो जाऊंगी।
राज ने अपना सुपाड़ा मां की चूत में अंदर घुस आया मां की हल्की सी चीख निकल गई।
राज ने 5 मिनट तक ऐसे ही किया , राज अपना टोपा अंदर डालता और तुरंत निकाल लेता मेरी मां उसकी कमर को पकड़ कर अपनी चूत की तरफ खींच रही थी।
अब राज ने भी धक्कों की तीव्रता बढ़ाई अब राज का आधा लंड मां की चूत में समा गया था।
मा की दर्द के मारे चीख निकल गई । लेकिन अब राज रुकने वालों में नहीं था और वह अपना लंड बराबर मां की चूत में घुसता रहा। थोड़ी देर के बाद अब तक जो धक्के धीरे-धीरे लग रहे थे राज ने उन धक्कों को और तेज कर दिया। ठप ठप की आवाज से मां का बेडरूम गूंज रहा था।
मेरी मां की भी बाजारु रंडी की तरह अपनी टांगें खोलकर अपने ही दामाद का लंड अपनी चूत में ले रही थी जबकि उसकी बेटी दूसरे कमरे में लेटी हुई थी। उन लोगों ने कमरा बंद करने की जहमत भी नहीं उठाई।
मा तो ज़ोर ज़ोर से आवाज निकाल रही थी। मनो किसी कोठे पर चुदवा रही हो । उसकी आवाजों से मुझे डर लग गया कि कहीं दीदी जागकर वहां पर ना आ जाए।
हहहह और और ज़ोर से करो, ज़ोर से करो …..मुझे जमाई राजा….. मेरी चूत को फाड़ दो, इतने दिनों से किसी मर्द का लन्ड नहीं पिया है मेरी चूत ने,
हां जानेमन आज रात में तेरी चूत का भोसड़ा ना बना लूं तो मेरा नाम राज नहीं।
कह कर उसने अपने दोनों हाथों से मेरे मां के बूब्स को मसलना शुरू किया । मेरी मां ने भी उसके हाथों पर अपने हाथ रख दिए । वह नीचे से लगातार धक्के मेरी मां की चूत में मार रहा था। मा भी अपनी गांड उठा उठा कर उसका साथ दे रही थी।
अब राज ने कमर की स्पीड बहुत ज्यादा तेज कर दी और वह तो ऐसे चोद रहा था मानो कि यह उसकी जिंदगी का आखरी चुदाई हो । मेरी मां के बूब्स बहुत तेजी से ऊपर नीचे उछाल रहे थे और वह भी बहुत ज़ोर से चीख चिल्ला रही थी।
अब राज ने अपना लंड निकाल लिया और वह खुद बेड पर लेट गया और उसने मां को कहा कि आप मेरे लंड पर बैठ कर उसकी सवारी करो।
मेरी मां झट तैयार हो गई और उसने राज के लंड को अपनी चूत पर सेट किया और एक बार लंड जब चूत में घुस गया तो उसके लंड के ऊपर उठक बैठक करने लगी।
मेरी मां बहुत ही धीरे-धीरे अपनी गांड को उपर नीचे लेकर आ रही थी और अपने दामाद के लंड का पूरा मजा ले रही थी।
मां अपने बूब्स को भी दबा रही थी और अपने बालों के साथ खेल रही थी। अब राज ने मेरी मां की गांड पर हाथ लगाया और उसको ऊपर नीचे करने लगा।
राज का पूरा का पूरा लंड मां की चूत में समा जा रहा था और हर बार जब माँ उसके लंड पर नीचे की और आती तब उनके मुंह से सिसकारियां निकल जाती । अब राज ने मां के कमर को बहुत तेजी से लंड पर पटकना शुरू किया और मेरी मां की सांस बढ़ गई।
इसी तरीके से राज ने मां को करीब 15 मिनट तक चोदा । उसके बाद वह दोनों लोग अलग हट गए अब राज ने मां को कहा कि आप ऐसा करिए आप घोड़ी बन जाइए मैं आपके पीछे से चोदता हूं।
मां ने कहा ऐसी अतरंगी अतरंगी पोजीशन कहां से लेकर आते हो , मेरे पतिदेव तो बस एक ही पोजीशन में करते हैं। मैं उनसे इतनी बार बोली हूं कि अलग-अलग पोजीशन ट्राई करो ।लेकिन उनसे होता ही नहीं है।
कोई बात नहीं तुम्हारी चूत को आज के बाद से मेरे लंड का पानी ही मिलेगा, तुम अब मेरी रखैल बनकर रहोगी किसी और की नहीं।
हां हां, मेरे राजा कहकर मेरी मां घोड़ी बन गई और उन्होंने अपनी गांड निकालकर अपने दामाद के सामने रख दी।
अब राज ने अपने लंड के ऊपर थूक मला और एक बार फिर से मां की चूत में लंड घुसा दिया। राज धीरे-धीरे अपना लंड मां की चूत में घुसा रहा था मगर थोड़ी देर के अंदर उसने मां की कमर को दोनों हाथों से पकड़ा और मशीन गन की तरह दे दना दन चुदाई करने लगा।
वाह बहुत मजा आ रहा है , और ज़ोर से करो दामाद जी। हां मैं तो मर गई , अंदहठहठहठहठठहद बहुत मजा आ रहा है।
अब राज मेरी मां की चूत बहुत तेजी से मार रहा था और लगातार मेरी मां के गांड पर चाटे भी मार रहा था। राज के हर धक्के के साथ मेरी मां कुछ आगे की ओर जा रही थी। करीब 10 मिनट की चुदाई के बाद अब राज झड़ने वाला था तो उसने मां को कहा मैं झड़ने वाला हूं आपकी गांड पर माल गिरा देता हूं।
नहीं नहीं गांड पर मत गिराओ मैंने पिक्चरों में देखा है कि पिक्चर वाली लड़कियां मुंह में ही माल गिरा लेती है, मेरा भी बहुत मन करता है और तुम मेरे मुंह में ही डाल दो।
जैसी आपकी इच्छा कहकर अब मेरी मां वापस अपने घुटनों के बल बैठ गई और राज बिस्तर पर खड़ा होकर अपने लंड को हिलाने लगा अब राज ने एक पिचकारी मेरी मां के मुंह पर मार दी । मां का पूरा चेहरा राज के वीर्य के द्वारा भीग गया था , कुछ बूंदे मां के मुंह में भी आ गई थी । अब माँ ने राज के लंड को चूस चूस कर उसका सारा माल पी गई।
और उसके चेहरे पर जो भी माल गिरा था उसने अपने हाथ से अपने चेहरे पर मलने लगी जैसे कि कोई ब्यूटी क्रीम हो । उस दिन राज और मेरी मां ने सुबह तक कई बार चुदाई की।
राज अब हर एक डेढ़ महीने में घर पर आता था और मेरी मां को चोद कर चला जाता था या फिर कभी कबार वह मां को कुछ दिन अपने यहां रहने के लिए बुला कर मेरी मां जाकर रोज उसे चुदाई करवाती थी। अब मेरी मां और बहन दोनों ही राज के लंड की दीवानी हो चुकी थी।
कुछ वक्त बाद मेरी नौकरी लग गई और मैं कमाने चला गया कुछ ही समय बाद अब मेरी शादी तय हो गई थी और मेरी शादी भी एक बहुत ही खूबसूरत लड़की जिसका नाम संगीता था उसे हो गई।
संगीता बहुत ही सरल है, गांव की मासूम लड़की थी लेकिन उसके उभार तथा उसके नाक नक्श बहुत ही बेहतरीन था।
हालांकि अब राज का ध्यान मेरी मां से हटकर मेरी बीवी संगीता पर भी पड़ने लगा था । राज मेरी जिंदगी में एक ग्रहण की तरह लग चुका था जिसे मैं चाह कर भी नहीं निकाल सकता था । मैं सोच रहा था कि संगीता को लेकर कहीं और शिफ्ट हो जाऊं लेकिन उससे पहले ही मेरी जिंदगी में एक और घटना घट गई।