भाभी के घर में घुस के की चुदाई भाग-1

मेरा नाम योगेश है और मैं एक कॉलेज स्टूडेंट हु।  दिल्ली यूनिवर्सिटी से मैं उस वक्त BA कर रहा था। जीवन तो बहुत सरल था। मेरे कॉलेज में बहुत सी लड़कियाँ थीं जो अकेली थीं। लेकिन मैं अपने औसत व्यक्तित्व के कारण उनके सामने साहस की कमी थी। मैं एक ऐसी लड़की की तलाश कर रहा था जो मुझे वह प्यार दे सके, जो मैं हमेशा अपने जीवन में चाहता था। लेकिन मैं इसमें असफल रहा। 

फिर मैंने अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना शुरू किया ताकि एक दिन मैं एक अमीर आदमी बन सकूं। क्योंकि हम सभी जानते हैं कि लड़कियां हमेशा औसत के बजाय अमीर पुरुषों को पसंद करती हैं। मेरे कॉलेज में वही चीजें हो रही थीं। जो लड़के अपने बाप की वजह से अमीर थे वो लड़कीओ के बीच कैसे रहते थे जैसे की कोई फिल्म स्टार हो। मेरी Antarvasna Kahani सुनके आपको जरूर अच्छा लगे गा इस लिए पूरा ज़रूर पढ़ना। 

वक्त बदल रहा था जो लड़कियाँ मेरे साथ खेला कूदा करती थी आज वो मुझे इसतरहा अनदेखा कर देती थी जैसे मुझे जानती हे न हो। कॉलेज मैं बस तीन ही लड़कियाँ थी जिनको मैं बचपन से जनता था और उनको अपने बैडरूम में देखने का सपना लिए करता था। आज उनकी पतली कमर और भरा बदन देख कर मैं खुद को रोक नही पाता था। मुझे इस बारे में पता था कि ये लड़कियाँ किसी ऐसे व्यक्ति के साथ सो रही हैं जो अमीर है और मेरी तुलना में अच्छा है। अपने आज तब बोहोत Bhabhi Sex Stories पढ़ी हो गी। पर ये वाली पढ़ कर पको ज़रूर अच्छा लगे गा। 

मेने फालतू का दिमाग लगाना छोड़ दिए और पोर्न वीडियो देख कर काम चला लेता था। पापा की टेलर की दुकान थी जहा मैं कभी बही उनका हाथ बटया करता था। हलाकि मुझे टेलर वाले काम में को दिलचस्पी नही थी।

मुझे बस वह अलग अलग औरतो को करीब से देखने का मौका मिल जाता था। पापा ने वहा एक लड़की राखी हुई थी जो ओरतो का नाप लेती थी और कभी कभी उसकी गैरमौजूदगी में पिता जी मुझे ये काम सोप देते थे। 

पिता जी जो नाप लेने में थोड़ा अटपटा लगता था जो की हर किसी को इस उम्र में लगता। साथ ही साथ सूट सिलवाने वाली ओरतो को भी अच्छा नही लगता। 

काम के साथ ही साथ मैं इस मोके का फायदा उठता और अपनी हवस भाई नज़रो से भरी और सुडोल ओरतो को देखता। मेरी दुकान पे कभी भाभिअ और कई कई तोह लड़कीअ अति थी।

उनकी ऊपरी साड़ी और चुनी हटा कर जब मैं उनकी फूली हुई छाती का नाप लेता तोह वो औरते मेरे शामे नज़र झुका लेती। उन बड़े स्तनों का नाप लेते लेते कई बार तोह मेरा लण्ड भी फूल जाता था।

यह सब देख देख कर मैं अपनी ज़िन्दगी जी रहा था। जब एक दिन मेरी दुकान पर वो औरत आई जिसने मुझे वो सुख दिए जो आज तक कोई न दे सका। उसके गुलाबी और मोठे रसीले होठ थे। बहरा और भारी बदन पतली कमर थी जो वो मटकते हुए मेरे दुकान चली आई।

उसका सुडौल शरीर देख कर मुझे अंदाज़ा लग गया की वो शादी शुदा है। उसने सुन्दर काली साड़ी पहनी हुई थी जिसमे से उसकी गोरी कमर शर्माते हुए झांक रही थी। वो आज तक की सबसे सुन्दर और सेक्सी भाभी थी जो मेरी दुकान पे आई थी। 

होता तोह में उनसे खुद बात कर लेता पर जब दुकान पर पिता जी थे तोह मेसे न करना ही समझदारी समझा। भाभी को नई साड़ी के लिए ब्लाउज सिलवाना था।  जब पिता जी ने उनको अपना नाप देने के लिए नेहा के पास भेजा जो हमारी दुकान पर नाप लेने का काम करती थी मैं वही जनमुच कर बेथ गया।

और मन में सोचने लगा की आज नेहा क्यों आ गई। नेहा ने भाभी का पलु हटाया और सदी निचे गैर दी और भाभी की फूली छाती का नाप लेने लगी। मैं पतली गोरी कमर पर इतने बड़े स्तन देख हाका बका रह गया। नेहा ने जल्दी से नाप लिए और भाभी को साड़ी ठीक से पहना दी तभी मैं बोल पड़ा। 

अरे अरे नेहा रुको ये नाप तुमने सही से नहीं लिआ।

नेहा:- क्यों क्या हुआ मैं तो इसी तरह लेती हु।

मेने कहा : नहीं तुमने इनका नाप थोड़ा ढीला लिए है। जिस कपड़े से उनके ब्लाउज बने गए वो कुछ टाइम बाद थोड़ा ढीला हो जाये गा।

क्यों की नेहा को कपड़ो के बारे में ज्यादा कुछ नही पता था वो जल्द ही  मन गई। और मुझे से कहा “तुम ही बता दो कितना लेना है।” मेने इंच टेप ले कर कहाँ हटो मैं ही ले लेता हु। ये सुन कर भाभी को थोड़ी हिचकिचाहट हुई।

पर नेहा को पास खड़ा देख वो मन नही करि। इसे पहले भाभी खुद साड़ी हटती मेने अपने हाथ से साड़ी उतर क्र निचे गिरा दी। तभी किस्मत से पिता जी ने नेहा को बहार किसी काम से बुलाया। 

मैं खुश हो गया और भाभी के छाती को फील से नापने लगा। मैं उनके स्तन अपने हाथो से नही दबा सकता था तोह मेने नाप लेने के बहाने इंच टेप थोड़ी टाइट कर के नाप लेने लगा।

भाभी शर्म के मरे निचे देखने लगी और मैं अपनी हवस से बही नज़रो सो भाभी का नरम बदन देखने लगा। शरमाते हुए भाभी ने कहा “और कितनी देर लगाओ गे ?” उनकी नरम और मीठी आवाज़ सुन मेरे रोंगटे खड़े हो गए। मेने जल्दी से नाप लिए और कहाँ “लो हो गया योर हाइनेस।”

भाभी ये सुन कर मुस्कुरा गई पर वो अच्छे से समझ गई थी की मैं उन्हें कितनी गन्दी नज़रो से देख रहा था। उनकी मुस्कान देख मैं भी थोड़ा रिलैक्स कर लिए की चलो भाभी ने कोई बखेड़ा नही खड़ा किआ।

भाभी ने मुस्कुराते हुए पूछा “ब्लाउज कब तब बन जाये गए ? ” तोह मेने कहा “आप अपना नंबर दे दो मैं आपको फ़ोन कर के बता दू गा।” मैं बस अपनी किस्मत आज़मा रहा थे मुझे क्या पता था की वो सच में अपना नंबर दे दे गी। 

नंबर दे कर भाभी ने पिता जी को पैसे दिए और जाने से पहले मुझे ऊपर से निचे देख कर एक मुस्कान दे कर चली गई। उस रत मैं सो नही पाया क्यों की मेरे दिमाग में यही चल रहा थे की उस मुस्कान का मतलब क्या हो सकता है। भाभी की मुस्कान देख मेरे दिगमग मैं उलटे सीधे ख्याल आ पड़े और मैं भाभी की चुदाई के सपने देखते देखते सो गया। 

उस दिन के बाद से मैं अपना ज़ादा तर वक्त दुकान पर बिताने लगा ताकि मैं उनसे दोबारा मिल सकू। मेने नेहा से भाभी का नाम पूछा और मुझे पता लगा की उनका नाम चंचल है। मेने फिर नेहा से उनका ब्लाउज के बारे में पूछा तोह नेहा ने कहा “वो तोह कल ही रेडी हो गया था पर वो लेने ही नही आई जब की आपके पिता जी ने उनको बोलै था।”

ये सुन कर मैं यकीन कर गया की भाभी खुद भी चाहती थी की मैं उनको कॉल करू। तुरंत मेने बहार जा कर अकेले में चंचल भाभी को फ़ोन किआ और कहा आपका ऑडर रेडी है आप लेने आ सकते हो। भाभी ने कुछ देर रुक कर शर्मीली आवाज़ में कहा मेरी कमर में दर्द है क्या तुम देने आ सकते हो ? 

मेने बिना सोचे समझे हाँ बोल दिए और चंचल भाभी ने अपने घर का पता मुझे sms कर दिया। मैं ख़ुशी से अपनी बाइक पे बैठा और नेहा से भाभी का ब्लाउज ले कर चल दिया। भाभी का घर देखते ही मैं हैरान हो गया क्यों की भाभी का घर भोत बड़ा और सुन्दर था। मेने जब घर की घंटी बजाई तो एक आदमी बहार आया। मैं सोच रहा था की कही वो उनका पति तोह नही। 

उस आदमी नही मुझ से कहा “बोलो क्या काम है?”

मेने कहा ” मुझे चंचल जी से मिलना है उनका कुछ सामान देना था। “

तभी पीछे से भाभी आ गई और उन्हों ने कहा ” अरे आ गए तुम बड़ा टाइम लगा दिया तुमने ? ” 

उस आदमी ने पूछा ” क्या हुआ डार्लिंग ये कौन है ? “

भाभी ने कहा ” ये पास ही के एक टेलर मास्टर का बीटा है मेने कुछ सिलवाया था तोह वही देने आया है। “

आदमी ने कहा “ओके चलो मैं ऑफिस के लिए निकल रहा हु अपनाया ख्याल रखना “

उस वक्त सुबह के 8 बज रहे थे भाभी से मिलने की मुझे इतनी जल्दी थी की मैं बिना सोचे समझे उनके घर चला आया। भाभी  मुझे प्यार से देखा और अंदर बुला लिया। मैं ऑनर गया तोह भाभी अपनी पतली कमर मेरे सामने मटकाते हुए रसोई में गई और बोली चाय पीओ गे ? मेने शरमाते हुए मना कर दिया।

तोह भाभी ने कहा कहा ” अब क्यों शरमा रहे हो ? नाप लेते वक्त तोह बड़े मर्द बन रहे थे ? “

क्यों की मैं समाज गया था भाभी क्या चाहती है मेने बेशर्मी के साथ कहा ” आपका बदन देख मैं खुद को रोक नही पाया। “

चंचल भाभी (मुस्कुराते हुए) : तोह अब क्यों रोक रहे हो ?

ये सुन कर मैं हैरानी के साथ बोला : मतलब क्या है आपका ?

चंचल भाभी अपनी साड़ी उतारते हुए : वही जो तुम समाज रहे हो !

मेने पानी का एक घुट पिया और ये सोचने लगा अभी अभी तोह इनका पति ऑफिस के लिए निकला है क्या ये करना सही हो गा? 

तभी भाभी बोल पड़ी : तुम चाहो तोह सिर्फ पानी पी कर जा सकते हो !

उनकी कोमल आवाज़ और ब्लाउज में छुपे स्तन और पतली कमर देख मेने सोचा आज नही किआ तो शायद फिर कभी नही कर सपाउ गा। पानी का गिलास रख मैं भाभी के पास गया और उनकी कमर पे हाथ रख उनको अपने पास खेच लिए और उनके गुलाबी रसीले होठो को चुंबने लगा।

मेने पहली बार किसी के होठो को अपने होठो पे महसूस किआ और उस एहसास में डूबता चला गया। भाभी भी धीरे धीरे मदहोश हो रहे थी की तभी मेने उनकी गर्दन को चाटना और चुंबन शुरू कर दिया। 

मन ही मन मैं भाभी की चुदाई करने के लिए बेताब था। मेने भाभी की गांड को दोनों हाथ से पकड़ा और दबाते हुए उनके होठो को चुम्ब रहा था। की तभी उनको ने अपना ब्लाउज खोल दिया और कहा लो खेल जो जितना खेलना है।

मैं भाभी की गांड छोड़ क्र उनका स्तनों पर झपट पड़ा और उनको दबाने लगा। तभी भाभी भी तेज़ सासे लेने लगी। भाभी ने लाइट ऑरेंज ब्रा पहनी थी जिनसे उनके निप्पल्स हलके हलके देख रहे थे। 

मेने भाभी की आँखों में देखते हुए कहा “क्या मैं इनको ?” मेरे पूरा बोलने से पहले ही भाभी ने हाँ बोल दिए और मैं उनकी ब्रा के ऊपर से हे उनके निपल्स चूसने लगा। और भाभी की कमर के पीछे से हाथ डाल कर ब्रा खोलने लगा तभी भाभी ने मुझे धक्का दिए और हाथ पकड़ कर बैडरूम में ले गई। 

तभी मेने देखा उनका करीब 2 साल का छोटा बच्चा भी था जो गहरी नींद में था। भाभी ने उसको उठाया और ऊपर वाले कमरे में लटा दिया और वापस आ गई। 

ये देख में हैरान हो गया और मुझे लगा मैं ये गलत कर रहा हु पर चंचल भाभी का नंगा शरीर देख मेरा लण्ड फूलने लगा और मैं खुद को रोक नही पाया। भाभी ने मेरे कपडे उतरे और बिस्तर पर लेटा दिया और मेरा लण्ड चूसने लगी। मुझे नही पता था की इतनी मासूम और संस्कारी दिखने वाली भाभी इतनी हवसी निकले गी। 

भाभी मेरा लण्ड और गोटिअ चारो तरफ से चाट और चुम्ब रही थी। आज से पहले मेरे साथ ऐसा कोई नही किआ था तोह मुझे थोड़ा दर्द भी होने लगा था।

आज भाभी गोटिअ  चूस रही थी तो मेने उन्हें दर्द के मरे वही रोक दिया और भाभी की साड़ी उतरने लगा और उनकी बड़ी गांड में अपना मुँह दे दिआ और उनकी चुत गीली करने लगा। चंचल भाभी का शरीर गरमा होता चला गया और वो मुझ से अपनी चुत चटवाती रही।  

कुछ देर बाद मेने अपना लण्ड उनकी चुत की तरफ बढ़ाया तोह भाभी ने मुझे रोक किआ और बैड के दराज में से कंडोम निकाला और मुझे पहने को बोलै।

मेने फटाफट कंडोम पहन लिए और भाभी की चुत में अपना लण्ड घुसा दिआ और उनकी चुदाई करने लगा। चंचल भाभी मेरे सामने लेटी हुई थी अपने पैर खोले और उनकी गुलाबी गीली चुत में मैं अपना लण्ड गुसा कर ज़ोर ज़ोर से धके मार रहा था।

भाभी उस सुबह का पूरा मज़ा ले रही थी और अपनी नरम आवाज़ में धीरे धीरे चीला भी रही थी। उनकी तेज़ ससे अपने चेहरे पे महसूस कर मुझे और जोश चढ़ रहा था। चंचल भाभी आँखे बंद किये लेटी रही उनकी चुदाई करता रहा। 

कुछ देर की ज़ोर दर चुदाई के बाद भाभी की चुत से सफ़ेद और गाढ़ा पानी निकलने लगा और उनकी चुत और भी चिकनी हो गई। उस वक्त भाभी और भी सेक्सी और हॉट लग रही थी इसी वजह मेरे लण्ड से भी पानी निकल गया और कंडोम में भर गया। 

मेने कंडोम उतरा और भाभी से कहा :- इसका अब क्या करना है ? 

तोह भाभी हफ्ते हुए बोली :- इसको कूड़ेदान में फेक दो मैं बाद में देख लू गी। 

इतनी ज़ोर दर चुदाई के बाद चंचल भाभी और मैं एक दीसरे के गले लग कर आधे घंटे तक बिना कपड़ो के बिस्तर पे पड़े रहे। मेने टाइम देखा तोह पता चला भाभी की चुदाई करते करते दोपहर के 1 बज गए थे। भाभी का बदन अभी भी मनो तप रहा था और वो बेजान बिस्तर में पड़ी हुई थी। 

मेने कपडे पहनते हुए कहा :- चंचल जी मुझे अब जाना चाहिए अब बोहोत देर हो गई है।

भाभी :- जाओ पर वापस जरूर आना।

मेने हस्ते हुए कहा हाँ हाँ ज़रूर और जाते जाते भाभी के होठो पर चुम्बा और उनकी स्तनों और एक बार और दबा कर चला गया बहार जाते वक्त मेने उनके बेटे की रोने की आवाज़ सुनी तोह भाभी को फिर बुला लिए और भाभी कपडे पहने कर भागते हुए ऊपर चली गई। जाते जाते भाभी ने मुझे घर के पीछे वाले दरवाजे से जाने को कहा और मैं वह से चला गया। 

उस दिन के बाद से मेने अपने कॉलेज की लड़कीओ की डर्फ देखना हे छोड़ दिया क्यों की अब मेरे पास एक हवसी भाभी थी जिनकी मैं कभी भी जा कर चुदाई कर सकता था। 

मैं नही जनता था की भाभी और उनके पति के बीच क्या चल रहा है और मुझे कोई मतलब भी नही था। मतलब था तो बस चुदाई और भाभी से साथ सेक्स का। उस दिन के बाद मैं हर हफ्ते काम से काम एक बार तोह भाभी की चुदाई कर डालता था।

और नई Bhabhi Sex Story in Hindi पढ़ने के लिए हमारे साथ बने रहे।  

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