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हॉट सीमा 2 Xxx की चूदाई कहानी 6
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मैं सुबह सो कर उठी और रोज की तरह ऑफिस चली गई , पर ऑफिस में ज्यादा काम होने की वजह से मैं और सर कुछ कर नहीं पाए।
काम की वजह से वह मेरे फ्लैट पर भी नहीं आए कुछ दिन तक और सेटरडे का दिन आ गया ।
आज मैंने ऑफिस में वहा डेटिंग साइट खोलें उसमें मुझे ऑफर मिला फुल हार्ड कोर विथ टू बॉयज । मुझे यह ऑफर अच्छा लगा और मैं वैसा ही करुगी जो पिछली बार किया था पर इस बार में एक दूसरे होटल में जा रही हूं।
ऑफिस से मैं अपने फ्लैट में आ गयी और जल्दी से नहा धोकर तैयार हो गई। नहा कर मैंने अपना ऑफ व्हाइट ब्लाउज और ब्रा पहन ली । और एक नया स्कर्ट बहुत ही छोटा था जो मुश्किल से मेरे नितंब तक की लंबाई का था। स्कर्ट के नीचे मैंने इस बार एक थांग पहन ली जो फ्लोरोसेंट कलर की थी।
फिर पहले की तरह घर से निकल तक होटल पहुंच गई।
मैंने दरवाजा खोला , वहा दरवाजे के सामने दो लड़के खड़े थे मैंने हाय बोला और अंदर आ गई , दोनों लड़कों ने एक साथ बोला- मैं जीत हूं और यह जय।
जीत परिचय कराते हुए बोला।
“गुड इवनिंग!”मैंने मुस्कुराहट के साथ दोनों को बोला और फिर जय ने कॉल करके स्टाफ को जल्दी से कॉफी भेजने के लिए बोला।
“यार कॉल करके कॉफी लाने के लिए क्यों बोल दिया? बिना वजह समय की बर्बादी होगी।” जय के दरवाजा बंद करते ही जीत ने झुंझलाहट के साथ कहा।
और आपस में बहस होने लगी,“रिलैक्स करो।” मैंने मुस्कुराते हुए कहा, तो दोनों लड़के चुप हो गए ।
वेटर बहुत जल्दी तीन कॉफी रख कर चला गया और उसने पूछा- और कुछ चाहिए मैडम?
“फिलहाल कुछ नहीं चाहिए। बस दस मिनट बाद खाली कप वापस ले जाना।” मैंने वेटर को बोला।
जीत और मैंने साथ में कॉफी खत्म की , कुछ देर में ही जय ने भी कॉपी खत्म कर ली । और थोड़ी देर बाद वेटर भी खाली कप लेकर चला गया।
अब जय ने दरवाजे पर “Don’t disturb” का टैग लगा कर दरवाजा बंद किया , और में जय की तरफ देखकर मुस्कुराई।
जय भी मुझे देख कर मुस्कुराने लगा।
अब कमरे में कोई भी अवरोध नहीं था।
जीत में टीवी का वॉल्यूम कम करके उस पर एक ब्लू फिल्म लगा दी जिसमें एक लड़की की चुदाई दो लड़के कर रहे थे। दोनों लड़के मुस्कुराते बोले – यह हमारा पहला मौका है जब हम दो लड़के एक साथ एक लड़की के दोनों छेद चोदेगे !
शायद उने ऐसा लगा कि मैं कुछ समझी नहीं,
दोनों ने फिर से मुझसे बोला कि मिलकर किसी लड़की को चोदने का यह उनका पहला मौका है।
हमें पता है कि तुम पहले ही दो के साथ कर चुकी हो मैं तुम्हारी आईडी पर कमेंट पढ़े थे , हम चाहते हैं कि तुम हमें डायरेक्शन दो ऐसा पेटेंट करो कि तुमने हमें बुलाया है
मैंने भी यह सब सुनने के बाद मैंने भी हां कहा दिया और ऐसा ही करने लगी
अब मैं बिस्तर पर जय और जीत के बीच में बैठ गई और हम तीनों टीवी पर चल रही ब्लू फिल्म को ध्यान से देखने लगे। मैंने चुदाई के लिए पहल करते हुए जीत और जय के लंड को पैंट के ऊपर से ही सहलाना शुरू किया।
जय ऊपर ही से मेरे स्तनों को सहलाने लगा। बहुत जल्दी ही मैंने जीत और जय के लंड में तनाव महसूस करना शुरू किया और मैंने उनके पेंट में हाथ डालकर दोनों के लंड पकड़ लिये और सहलाना शुरू किया। जीत ने मेरी स्कर्ट ऊपर करके मेरी पैंटी को साइड में करके चूत को देखने लगा ।
मेरी चिकनी चूत को देखते ही उसकी आंखें चमकने लगी। उसने तुरंत मेरे चुत पर अपने होंठ रख दिए और उन्हें चूसने लगा।
मैं हल्के सीत्कार भरते हुए जय के चुंबन का जवाब दे रही थी।
मुझ पर एक हल्का सा नशा छाये जा रहा था और मैं धीरे-धीरे गर्म हो रही थी। मैंने अपनी आंखें इस कामक्रीड़ा में बंद कर रखी थी। मुझे कुछ भी नहीं पता चल रहा था। बस बहुत मजा मेरे शरीर, दिमाग और चूत को मिल रहा था।
जब मैंने आंखें खोली तो देखा मेरे शरीर पर कोई भी कपड़ा नहीं था। मालूम नहीं कब जीत और जय ने मुझे नंगी कर दिया था। जय और जीत भी पूरी तरह नंगे हो चुके थे।
मुझे आंखें खोलता देख कर जीत ने मुझे आंख मारी और अपने लंड को सहलाते हुए पूछा- लंड चूसेगी?
मैंने भी आंखों से हां का इशारा किया।
अब मैं अपने घुटनों के बल बैठ गई और जीत तुरंत अपना लंड मेरे मुंह के बिल्कुल करीब ले आया। उसके लंड का मोटा सुपारा बहुत चमक रहा था। मैंने निसंकोच उसके सुपारे को मुँह में भर लिया और बिल्कुल ब्लू फिल्म की लड़की की तरह जीत के लंड को चूसने लगी।
मेरे होंठों के मादक स्पर्श से जीत का लंड मेरे मुंह में और भी ज्यादा मोटा हो गया। उसने मुझे बालों से पकड़ लिया और मेरे मुंह को चोदने लगा।
जय मेरी चूत को उंगली डालकर चोदने लगा। मेरी चूत बहुत पानी छोड़ रही थी। जय मेरी चूत से अपनी गीली उंगलियां निकालकर मेरी गांड में डाल कर मेरे छेद को फैलाने लगा।
वो बोला- जूली तुम्हारी गांड मारने में मुझे बहुत मजा आएगा।
मैं मुस्कुरा कर बोली- मुझे गांड और चूत दोनों एक साथ मरवानी हैं।
जय- जूली , एक बार हमारा भी लंड चूस दो, फिर देखो तुम्हारी गांड कैसे फाड़ता है मेरा लंड।
मैंने जीत के लंड को सहलाते हुए जय का लंड भी चूसना शुरू किया। बहुत जल्दी चूसे जाने के कारण लोहे के रॉड जैसे सख्त हो गए।
जय ने अब अपने लंड पर कंडोम लगाया और ढेर सारा ऑयल भी। अब वह बिस्तर पर पीठ के बल लेट गया और मुझसे बोला- जूली , मेरा लंड तुम्हारी गांड में घुसने के लिए बेताब हो रहा है। आओ और अपनी गांड को मेरे लंड का स्वाद चखने का मौका दो।
यह सुनकर मैं जय की तरफ अपनी पीठ कर के बैठी। मैंने अपने हाथों से उसके लंड को अपनी गांड के छेद पर रखा और मैं धीरे धीरे लंड पर बैठने लगी। जय के मोटे सुपारे का स्पर्श मेरे अंदर नई उत्तेजना भर रहा था।
“उईईई …उम्म्ह… अहह… हय… याह… ” जय के मोटे सुपारे के मेरी गांड में अंदर घुसने पर मेरे मुंह से सीत्कार निकला।
“क्या हुआ जूली? क्या गांड में दर्द हो रहा है?” जय ने नीचे से धक्का लगाते हुए पूछा।
मैंने अपनी गर्दन इंकार में हिलाई और बोला- नहीं रे … मुझे मजा आ रहा है।
यह सुनकर जय ने मुझे कमर से पकड़ लिया और नीचे से धक्के मार कर अपने लंड को पूरी ताकत से मेरी गांड में घुसाने लगा।
“आहहह … मजा आ गया.” मस्त चूदाई के कारण मेरे मुंह से निकला।
जैसे जैसे जय का लंड मेरी गांड में घुसता जा रहा था, मेरी चूत आगे से खुलती जा रही थी। मैं सीत्कार भरते हुए अपनी चूत को सहला रही थी।
मेरे सीत्कार से उत्तेजित होकर जीत ने अपना लंड पुनः मेरे मुंह में डाल दिया और मेरी खुली चूत में दो उंगली डालकर चूत में उंगली से चोदने लगा। बहुत जल्दी जीत का लंड पुनः सख्त हो गया।
जीत ने मुझसे बोला- जूली , तुम्हारी चूत तो मानो मुस्कुरा रही है।
मैंने भी मुस्कुरा कर जवाब दिया- जूली की चूत तो सख्त सुपारा देखते ही मुस्कुरा कर लंड को चुदाई का निमंत्रण देने लगती है।
जीत ने अब लंड पर कंडोम चढ़ा कर मेरी खुली चूत में अपना लंड एक झटके के साथ पेल दिया।
“उईईई … मां…” मैंने जो़रों से सीत्कार भरा।
अब आगे से जीत और नीचे से जय ने मेरी चूत और गांड को चोदना शुरू कर दिया। मेरी स्थिति इस समय कुछ इस तरह थी।
कि में दोनों के बीच सैंडविच बन गई थी। और मेरी सैंडविच चूदाई हो रही थी।
अब तो मेरी कामोत्तेजना बहुत बढ़ गई और मैं पूरी तरह बेशर्म हो कर दो लंड से चुदाई का मजा लेने लगी।
जीत बोला- तेरी चूत तो बहुत ही टंच माल है।
तो नीचे से जय बोला- साली की गांड भी बहुत मजेदार है।
मैं सीत्कार भरते हुए बोली- और जोर से चोदो ना मुझे। मेरी चूत और गांड दोनों फाड़ दो।
“देख रंडी को कितना मजा आ रहा है दो लंड से चुदने में!” जीत बोला।
दो लंड से चुदाई का मजा वही लड़की जान सकती है जिसने कभी इस तरह की चुदाई का स्वाद चखा हो। मैं तो लगातार झड़ना शुरू हो गई इस चुदाई में।
मुझे हर धक्के के साथ मजा आ रहा था । अब दोनों के लंड मेरी चूत और गांड में आसानी से अंदर बाहर हो रहे थे।
जीत ने मेरे दोनों स्तन हाथों में पकड़ लिए और उन्हें बेदर्दी से मसलने लगा। मेरे दोनों निप्पल को भी अपने अंगूठे और उंगलियों के बीच में लेकर मसलना जारी रखा।
मैं दर्द और आनन्द के मारे चिल्ला पड़ी। मैंने भी अपनी चूत और गांड को तेजी से आगे पीछे करना शुरू किया जिससे दोनों लंड पूरे पूरे मेरे अंदर तक घुस सकें।
12 मिनिट की चूदाई के बाद दोनों हट गए और दोनों ने अपने लंडो से कॉन्डम निकाल दिए।
मैंने बिना विलंब किए दोनों के लंड बारी-बारी से चूसना शुरू किया कुछ ही देर में दोनों के लंड फिर से फनफनाने लगे। दोनों के सख्त लंड देखकर मेरी आंखों में भी चमक आ गई।
धक्का देकर मैंने जय को बिस्तर पर गिरा दिया और खुद उसकी तरफ मुंह करके उस पर सवार हो गई। मैंने हंसकर लंड को पकड़ कर उस पर कंडोम चढ़ा कर अपनी चूत के छेद पर रखा और खुद को नीचे दबाना शुरू किया। बहुत आसानी से जय का लंड मेरी चूत में अंदर तक घुस गया।
अब मैंने आगे की तरफ झुककर अपना दाहिना स्तन जय के मुंह में दे दिया और अपनी चूत को ऊपर नीचे करते चुदाई का आनंद लेने लगी। मैंने जीत को भी मेरी गांड की तरफ से मोर्चा संभालने को बोला। जीत भी कंडोम चढ़ा कर मेरी गांड मारने के लिए तैयार था.
क्योंकि मेरी गांड की एक बार चुदाई हो चुकी थी तो मैंने जीत को दोबारा ऑयल लगाने से मना किया मेरी बात मान कर जीत बिना ऑयल लगाये मेरी गांड में लंड पेलने लगा। बिना ऑयल के पहले तक थोड़ा दर्द और अवरोध जरूर हुआ लेकिन थोड़ी देर में जीत अपना लंड मेरी गांड में सेट करने में सफल हो गया और दोनों ने पूरे जोश के साथ मेरी चूत और गांड की चुदाई शुरू कर दी। कुछ इस तरह से मेरी स्थिति बन चुकी थी चुदाई की।
हम तीनों चुदाई का भरपूर आनंद ले रहे थे और मैं तो कुछ ज्यादा ही आनंदित थी अपनी इस चुदाई से।
पहले वाली चुदाई और इस चुदाई में सिर्फ एक ही अंतर था। पिछली बार मेरी चूत में ज्यादा जोर से धक्के पड़ रहे थे और इस बार मेरी गांड में धक्के बड़े जोर जोर से पड़ रहे थे क्योंकि नीचे लेटा हुआ आदमी थ्रीसम सेक्स में बहुत ज्यादा जोर नहीं लगा पाता जबकि ऊपर वाला व्यक्ति जोर शोर से लंड पेल सकता है।
जीत भी मेरी गांड की बहुत तारीफ कर रहा था और पूरी ताकत से अपने लंड को मेरी गांड में पेले जा रहा था। मैं भी अपने आप को आगे पीछे कर रही थी। जब मैं आगे की तरफ धक्का लगाती तो जय का लंड पूरा मेरी चूत में घुस जाता था, और जब पीछे की तरफ धक्का लगाती तो जीत का पूरा लंड मेरी गांड में घुस जाता था।
अब तो पूरे कमरे में हम तीनों के सीत्कार गूंज रहे थे और मेरी चूत और गांड में लंड के घुसने और बाहर होने पर फच फच की मधुर आवाज भी। धक्के इतने जोरदार थे कि हमारा बिस्तर भी चरमरा कर आगे पीछे हिल रहा था।
थोड़ी देर में जीत ने अपना लंड मेरी गांड से बाहर निकाला और कंडोम निकाल कर फर्श पर फेंक दिया तथा अब वो मेरी गांड को नए ड्यूरेबल कंडोम चढ़ाए मारने लगा। इस कॉन्डम से मुझे ऐसा लग रहा है कि उसने कॉन्डम पहना ही नहीं है।
इस कंडोम से उसका लंड और भी आसानी से अंदर बाहर हो रहा था और मैं तो मानो आनंद के सातवें आसमान पर थी।
ये पलंग तोड़ चुदाई बहुत अधिक देर तक चली और मैं भी इस बीच तीन बार झड़ गई।
जब जय और जीत भी मेरे अंदर झड़ने लगे तब दोनों ने मुझे सैंडविच बना कर मजबूती से पकड़ लिया।
कुछ देर बाद हम तीनों अलग हुए।
मैंने वॉशरूम जाकर खुद को साफ किया। बाद में जीत और जय भी खुद को साफ कर के आए।
हम तीनों ने अपने कपड़े पहने,जय ने रिसेप्शन पर कॉल करके खाने का आर्डर दे दिया रिसेप्शनिस्ट बोली 30 मिनट में पहुंच जाएगा
हमने अब जल्दी से अपने रूम को व्यवस्थित किया, कंडोम तथा कंडोम का पैकेट हटा दिए । बेडशीट वगैरा झाड़ कर रूम इस तरह कर दिया कि किसी को भी यह ना पता चले कि यहां थोड़ी देर पहले मेरी अच्छे से चुदाई हुई है।
ठीक 30 मिनिट बाद वेटर हमारा डिनर लेकर आ गया।
हमने डिनर किया , कुछ देर बाद हम फिर से बेड पर लेट गए।
कुछ देर बाद जीत ने अपना लंड मेरे मुँह के पास किया और मैंने बड़े आराम से उसे अपने हाथ में पकड़ा और “आ…ह…” वो लंड मेरे होंठों से टकराया और मैंने आगे बढ़ कर उस लंड को अपने होंठों से चूमा और अपने मुँह में ले लिया।
जय ने भी अपना लंड मेरे मुँह के पास किया, मैंने जीत का लंड अपने मुँह से निकाला और और जय का लंड अपने मुँह में लेकर चूसने लगी।
जीत ने मेरी टाँगों के बीच अपना चेहर डाला, वो मेरी चूत चाट रहा था । एक का लंड मेरे मुँह में और दूसरे का मुंह मेरी चूत पर ।
शायद जन्नत में भी ऐसा मज़ा न मिलता हो जो मुझे इस धरती पे मिल रहा था।
जीत ने अपना लंड मेरी चूत पर रखा और लंड मेरी चूत में घुसेड़ दिया, जीत बहुत दमदार है, उसने पहले भी मेरी चूदाई दमदार की थी, वेसक उस का लंड सर के लंड से 2 इंच छोटा है पर वो चूदाई दम लगाकर करता है ।
जीत जो लगा मुझे चोदने … तो हटने का नाम ही न ले।
जय का लंड चूसती रही, वो मेरे मम्मे दबाते और चूसते रहे और मैं अपनी कमर उचका उचका कर मचलती रही।
जैसे ही जीत ने अपना लंड मेरी चूत से निकाला जय ने पीछे गया और उसने घप्प से अपना लंड मेरी चूत में घुसेड़ दिया।
मुझे अब कोई दिक्कत नहीं थी, मैं तो अब सिर्फ चुदाई और ढेर सारी चुदाई चाहती थी और वो दोनों भी पूरी तरह से तैयार थे।
गर्म मर्दाना माल से भरी अपने लंडों की पिचकारियाँ लिए हुये, जिन्हें वो मेरी प्यासी चूत के अंदर चलाने वाले थे।
जय ने करीब 10 मिनट मेरी चुदाई की, फिर जीत आया, और वो भी 12-13 मिनट मुझे चोदता रहा। दोनों में ये होड़ थी कि वो पहले वाले से ज़्यादा मुझे चोदें।
अपनी इस ख़्वाहिश के चलते दोनों मुझे बहुत बेदर्दी से चोद रहे थे, और उनके लिए तो मैं एक रंडी थी, जिस पर वो अपनी मर्दानगी झाड़ रहे थे।
कुछ ही देर में चुदाई की मस्ती में हम तीनों ही डूब गए. में भी अपनी कमर को काफी तेज गति से आगे-पीछे कर रही थीं.
इस वक्त मुझे बहुत मजा आ रहा था. जय ने अपनी तरफ से धक्के देना कुछ कम कर दिया, शायद वो थक गया था तो में खुद अपनी कमर उछालते हुए धक्का लगाने लगीं.
मैंने और भी मजा लेते हुए अपनी पकड़ को भी थोड़ी हल्का कर दिया. और मजा लेने लगी।
जय ने अपने लंड मेरी चूत से बाहर निकला और वीर ने लंड डाल दिया, जय बोला हम तीनों गालियां देते हुई चूदाई करेगे ।
मेंने पहेल की और बोली – वो लंड की चोटों से मस्ती में कहा आह कितना मजा आ रहा है … पूरा अन्दर तक जा रहा है … आह आज फाड़ दे मेरी चुत को जीत … फाड़ दे इस निगोड़ी को.
जीत ने मेरी कमर को अपने हाथों से पकड़ा और मुझे गाली देते हुए कहा- ले साली छिनाल, मां की लौड़ी … तुझे लंड खाने की अभिलाषा थी न … ले मादरचोदी … लंड खा.
मेने भी उस का पूरा साथ देते हुए कहा – हां जीत, मुझे अपनी रंडी बना कर चोद दे … तेरे मुँह से मुझे गाली सुनने में बड़ा मजा आ रहा है … चोद हरामी साले कुत्ते चोद मुझे कमीने … फाड़ दे मेरी चुत को … आह मजा आ रहा है.
जीत खूब कमर उठा-उठा कर मेरी चुत में झटके मार रहा था.
फिर जय ने मुझसे ऊपर आने को कहा. अब में जय के लंड पर बड़ी मस्ती से कूद रही थीं. उस ने मुझे अपनी छाती की तरफ खींचा और मेरी दोनों चूचियों को बार बारी से चूसने लगा और मसलने लगा.
पूरे कमरे में हम दोनों की चुदाई की सिर्फ़ फच-फच की आवाजें आ रही थीं. साथ ही कमरा मेरी मादक सिसकारियों से गूंज रहा था.
अब मुझे बहुत जोरों से पेशाब आने लगी थी, दोनों से कहा मुझे पेशाब करने जाना है , तो उन दोनों ही मुझे छोड़ दिया ।
कुछ देर बाद में बाथरूम से होकर आई कुछ देर आराम किया, फिर वो बोले की उने मेरी सैंडविच चूदाई करनी है।
में जय के लंड को चूत में लिया और जीत ने थोड़ा ऑयल अपने लंड पर लगाया और थोड़ा मेरी गांड पर.
जीत ने धीरे धीरे से पूरा लंड मेरी गांड में डाल दिया.
अब वो दोनों साथ में मेरी चूत और गांड मर रहे थे . मैंने अपनी कमर धीरे धीरे हिलाना चालू कर दिया, और जय और जीत ने चूत और गांड में लंड को अन्दर बाहर करना चालू कर दिया .
मेरी ‘आह्ह … ऊह्ह्हह उउफ्फ …’ की सिसकारियों से पूरा कमरा गूंज उठा था. कुछ देर बाद दोनों ने अपनी पकड़ से मुझे आज़ाद कर दिया.
फिर मुझे उलट कर जीत ने लंड को मेरी चूत में और जय ने लंड को मेरी गांड में घुसा दिया . पूरे कमरे मैं मानो बस फच फच की आवाज़ और सिसकारियों की आवाज ही आ रही थी.
जीत और जय ने बार-बार पोजीशन बदल और कभी देर की चूदाई के बाद वो झड़ गए। फिर हम आराम करने लगे और सो गए।
इन दोनों ने 4:30 बजे मुझे फिर से उठाया चोदना चालू कर दी कुछ ही देर बाद, मैं भी चुदाई का मजा लेते हुए सीत्कार कर रही थी- आह्ह्ह्ह आहह्ह्ह आहह्ह्ह चोदो मुझे.. और चोदो फाड़ दो.. मेरी चूत और गांड को.. तुम्हारे लंड की प्यासी हूँ.. आहह्ह्ह यईआह.. उह्ह्म्म्माआ..
धीरे धीरे उन्होंने धक्के लगाने तेज कर दिए.
मेरे मुँह से सीईईईईई की आवाज निकली तो उन्होंने मेरे बूब्स को और भी तेज मसलना शुरू कर दिया.
अब उन दोनों ने भी तेज धक्के लगाना शुरू कर दिए. मेरा दर्द और मजा दोनों बढ़ रहे थे,
कुछ देर बाद पोजीसन बदली जीत ने अपने लंड को मेरी चूत में डाला और जय ने गांड में पेल दिया.
अब एक बार फिर से मेरी चूत और गांड एक साथ चुदने के लिए तैयार थी और दोनों ने ही धक्के लगाने शुरू कर दिए.
मैं एक बार फिर से सीत्कारने लगी- आह्ह्ह्ह आहह्ह्ह.. आआ आअह्हह्ह ह्ह चोद दो.. मेरी चूत.. आअह्ह्ह आहह्ह्ह.., कुछ देर चूदाई के बाद।
जय ने मुझे गोदी में उठाया मैंने उसके लंड को पकड़कर मेरी चूत में डाला और फिर धीरे धीरे पूरे लंड को अपनी चूत के अन्दर तक डाल लिया.
जब जय का लंड मेरी चूत के अन्दर पहुँच गया, उसके बाद जीत ने भी अपने लंड को मेरी गांड में अन्दर तक पेल दिया और अब दोनों मुझे पकड़कर मेरी चूत और गांड को चोदने लगे.
यह पहली बार था कि जब इस तरह से दो लंड मेरी चूत और गांड को चोद रहे थे. इस पोजीशन में उनके लंड मेरी चूत और गांड में अन्दर तक जा रहे थे. मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा था.
कभी वो दोनों मुझे उछाल उछाल कर मेरी चूत और गांड की चुदाई करते, तो कभी मुझे कसकर पकड़कर खुद धक्के लगा कर मेरे दोनों छेदों को ठोकते.
तभी जय ने जीत से कहा- मुझे भी तो इसकी गांड का मजा लेने दो, तुम अकेले ही इसकी गांड का मजा ले रहे हो.. जरा तुम भी इसकी चूत को चोद कर मजा ले लो.
जीत ने भी बिना कुछ बोले मुझे जय की गोद से उनकी गोद में ले लिया और उनके लंड को मेरी चूत में डाल दिया.
वहीं जय ने अपने लंड को मेरी गांड के छेद पर लगाते ही दो करारे धक्कों में मेरी गांड में पूरा उतार दिया.
इस बार दोनों लंड मेरी चूत और गांड में थे, पर जब एक मेरी चूत में धक्का लगाता, तब दूसरा रुक जाता और उसके बाद दूसरा लंड धक्का मेरी गांड में लगाता. फिर कुछ देर बाद दोनों एक साथ ही धक्का लगा देते. मेरे सुख की सीमा नहीं थी.
अब मैं बहुत ज्यादा थक चुकी थी और मेरी पकड़ लगभग ढीली ही हो चुकी थी, पर जय और जीत ने मुझे कसकर पकड़ रखा था.
अब मुझे बेड पर ले गए. जैसे तैसे मुझे बेड पर लेटाकर फिर से मेरी चूत और गांड को चोदने लगे.
अचानक उन्होंने धक्के लगाने की स्पीड बहुत तेज कर दी।
जीत ने लंड को मेरे मुँह में डाला, सारा रस मेरे मुँह में ही निकाल दिया. जय ने भी मेरे मुँह में उनका वीर्य निकाल दिया,मैंने भी दोनों का सारा रस निगल लिया.
बाद में होटल से में पहले की तरह घर आ गई।
संडे की छुट्टी में रेस्ट किया।
फिर मंडे सुबह मेरी नींद 5 बजे खुली, जब मौसा जी का फ़ोन आया. मौसा जी और उनका बेटा सुबह की ट्रेन से दिल्ली आ गए थे. वे मेरे फ्लैट का पता पूछ रहे थे.
मैंने उनको 6 बजे मेट्रो से अपने घर के पास वाले मेट्रो स्टेशन पर बुला लिया और जल्दी जल्दी अपना पूरा कमरा ठीक करके कपड़े पहन कर उन लोगों को लेने के लिए चली गई.
मैंने देखा मौसा जी और उनका बेटा अजू, जो मेरे से सिर्फ 2 साल छोटा था, मेट्रो स्टेशन के नीचे मेरा इन्तजार कर रहे थे.
मैंने मौसा जी को नमस्ते की और अजू मेरे पैर छूने के लिए झुका तो मैंने रोक दिया. मैंने उससे हाथ मिलाया और कहा- इतने लम्बे हो, झुकने में प्रॉब्लम होगी.
फिर हम सब लोग हंस दिए और मैं उन लोगों को अपने फ्लैट पर लेकर आई. मॉम को फ़ोन करके बता दिया कि वे लोग आ गए हैं.
फिर मैंने सबके लिए चाय और ब्रेड का टोस्ट बना दिया. जब नाश्ता कर रहे थे तब मौसा जी ने बताया कि अजू का SSC का एग्ज़ाम है।
इसके बाद वो दिल्ली में रह कर UPSC की तैयारी करेगा. इसको कोई अच्छा सा फ्लैट दिलवा देना, जहां रह कर ये पढ़ाई करेगा.
मैंने कहा- ठीक है, मौसा जी.
फिर मौसा जी बाथरूम चले गए और मैं अजू से बात करने लगी. थोड़ी देर हम लोगों ने बातें की, फिर मैं अपने ऑफ़िस के लिए तैयार हो गई. मौसा जी अपने किसी दोस्त से मिलने के लिए जाने लगे.
मैंने अजू को बता दिया कि यहीं पास में एक होटल है, वहां पर दिन में खाना खा लेना.
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