स्कूल टीचर की बेटी के साथ चुदाई भाग -2 में आपका स्वागत हैं। अगर आपने स्कूल टीचर की बेटी के साथ चुदाई भाग – 1 को नहीं पढ़ा तो यह कहानी आधे से पढ़ने में आपको मजा नहीं आएगा तो किर्प्या पहके भाग-1 को पड़े फिर भाग -2 को।
तो चलिए स्कूल टीचर की बेटी के साथ चुदाई भाग -2 की सुरवात करते हैं।
जैसा की आप जानते हैं की सर की पत्नी का फ़ोन आ गया था और सर बिना खाना खये घर से निकल गए थे। सर तो घर से जा चुके थे अब घर पे मैं और सर की बेटी बचे थे। हम दोनों को तो ऐसे मौके की तलाश पहले से ही थी।
माफ़ करना दोस्तों मैं आपको अपने सर की बेटी का नाम बताना तो भूल ही गया था। मेरे सर की बेटी का नाम अनु हैं। अनु मेरे पास आई और मेरे गोद में आके बैठ गई। उसने मुझे अपनों बाहो में लिया और मुझे किस करने लगी।
अनु ने मुझसे कहा की में सोच ही रही थी की खास आज तुम हमारे घर पे आते। मैंने अनु से पूछा की तुम्हारे माँ और पापा कब तक आ जाएंगे। तो अनु ने बाय जाने में करीब 1 घंटा और आने में 1 घंटा टोटल मिलकर 2 घंटे लग ही जाते हैं।
तो मैंने कहा अब हमारे पास (1 -1 /2 घंटे ) का समय हैं। तो अनु मुझे अपने रूम में लेकर गई और मुझे अपने बिस्तर पर लिटा दिया और उसने अपने कपडे उतरना चालु कर दिए। जैसे ही अनु ने अपनी टी-श्रित उतारी उसके चूचे मेरी नजरो के सामने आये।
उसके चूचे तरबूज की तरह थे बड़े बड़े। मैंने अनु के चूचो को अपने हाथो में लिया और उन्हें चूमने लगा। अनु में मेरे कपडे उतरना सुरु कर दिए और फिर मेरी पैंट भी उतार दी मेरी लंड तो पहले से ही अनु की चूत मारने के लिए उतावला हो रखा था।
अनु ने मेरे लंड को अपने हाथो में लिया और उसे हिलाने लगी और साथ साथ वो मुझे किस करती। अनु अब अपने घुटनों के बल बैठी और अपने चुचो के बिच मेरे लंड को दबा लिया। मेने भी अपने लंड को उसके चूचो पर रगड़ना चालु किया।
रगड़ते रगड़ते मैं अपना लंड उसके मुँह के पास ले आया। अनु ने अपना मुँह खोला और मेने अनु के मुँह के अंदर अपने लंड को डाल दिया। जब मेरा लंड अनु के मुँह में गया और अनु ने चूसना चालु किये तो मेरी झुरझुरी सी छूट गई।
मुसके मुँह की भाप मेरे लंड को और भी सख्त बना रही थी। अब अनु ने मेरे लंड को पाने थूक से पूरा गीला तो कर ही दिया था तो मेने अनु को खड़ा किया और बिस्तर पर लिटा दिया। मेने अनु की टाँगो को छोड़ा किया और उसकी चूत के ऊपर अपने लंड को सहलाने लगा।
साथ ही अनु अपनी चूत के ऊपर हाथ फेरती रहती। मैंने अनु की चूत के ऊपर थूका और उसकी चूत को गीला कर अपने लंड को उसकी चूत के अंदर डाल दिया। मेरा लंड अनु की चूत के अंदर जाते ही अनु की चीखे निकल आई। अनु ने बोला सुभम तुम तो बड़े जोसिए हो तुमने तो मेरी चीखे निकलवा दी।
अनु ने कहा आज तक मैं अपनी उंगलियों से काम चला रही थी अब मेरी चूत को उसका प्यार भी मिल गया। मेरी चूत की प्यास बुझाने अब तुम जो मेरे पास आ गए हो। मैं अनु की चूत में अपने लंड को अंदर बहार अंदर बाहर करता रहा और कुछ दे बाद उसकी चूत के ऊपर ही अपना सारा वीर्य निकाल लिया।
अनु बैठी और मेरे लैंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी और बोली फिर पता नहीं तुम्हारा लंड कितने दिनों बाद मिलेगा। हमारे पास अभी भी आधे घंटे का समय बचा व था तो हम दोनों उस टाइम में और भी मजे लेना चाहते थे।
मैंने अनु को अपने गोद में उठाया और उसे सुमने लगा। अनु ने कहा क्या तुम मेरी गांड मरना पसंद करोगे। मैंने अनु को बोलै है की नहीं। अनु दूसरे और वह से तेल लेकर आई और मेरे हाथो में तेल की बोतल थमा दी।
मैंने अनु को घोड़ी बनाया और उसकी गांड के छेद के ऊपर तेल लगाया और फिर अपने लंड के ऊपर भी लगाया ताकि अंदर घुसाने में कोई दिकत ना हो। मैंने अनु की गांड में अपने लंड को घुसाना चालु किया अनु की गांड बहुत टाइट थी और मेरा लंड सुबारा इतना टाइट नहीं हो पाया था।
अनु उठी और मेरे लंड को टाइट करने के लिए उसे हिलाने लगी। वो कभी अपने चुचो के बिच मेरे लंड को डालती और कभी उसे हिलाती। जैसे ही मेरफ़ा लंड दुबारा से टाइट हुआ अनु फिर से घोड़ी बन गई। मैंने थोड़ी सी जान लगाई और अनु की गांड में धीरे धीरे अपने लंड को अंदर घुसाने लगा।
जैसे ही अनु की गांड के छेद के अंदर आईने अपना पूरा लंड गुसा दिता जभी अनु बिसर पर लेट गई और दर्द से (आअह आअह) करने लगी। पर अभी अनु का गांड मरवाने का शौक जो पूरा करना था।
मैंने उसे दुबारा घोड़ी बनाया और उसकी गांड में इस बार थोड़ा आराम से अंदर बहार अंदर बहार करने लगा। कुछ देर ऐसे ही करते मैंने उसे सीधा किया और कभी उसकी चूत में अपने लंड को डालता और कभी उसकी गांड में।
मेरे जैसे ही निकलने को हुआ मैने अपना सारे वीर्य अनु की गांड के छेद के अंदर ही भर दिया। फिर हम दोनों कुछ दे ऐसे ही लेटे रहे। और मैं फिर त्यार है और अपने अनु को किस करके अपने घर की और निकल पड़ा।
तो दोस्तों यह कहानी यही पर समाप्त होती हैं। आशा करता हु की आपको मेरी यह कहानी जरूर पसंद आई होगी। धन्यबाद।