मकान मालिक की बड़ी बहु को पेला–1

चूत चुदाई के सभी खिलाड़ियों को मेरा प्रणाम।मैं रोहित एकबार फिर से आप सबके बीच में एक नई कहानी लेकर हाज़िर हूं।मैं 22 साल का नौजवान लोंडा हूं।मेरा लंड7 इंच का मोटा तगड़ा माल है जो अच्छी अच्छी चुतो का भोसड़ा बनाने की ताकत रखता है।
                            मुझे पकी पकाई औरते चोदने का बहुत ज्यादा शौक है क्योंकि ऐसी औरतो को चोदने में भरपूर मज़ा मिलता है।मौका मिलने पर मैं कच्ची कलियों की चूत का पानी निकाल देता हूँ।अब तक मेरा लण्ड कई झीलों का नमकीन पानी पी चूका है। 

                           गांव में रहकर मेरा लण्ड चूत का खूब मज़ा ले रहा था।फिर मुझे एग्जाम की तैयारी करने के लिए सीटी में आना पड़ा। सीटी में आने पर मुझे मेरे दूर के रिश्तेदार के यहाँ रूम मिल गया।अब मैं टाइम पर कोचिंग अटेंड करने लगा।मैं मेरा पूरा फॉक्स पढाई पर करने लगा।सबकुछ अच्छा चल रहा था लेकिन मेरा लण्ड कुछ दिनों के बाद कुलबुलाने लगा और चूत में घुसने के लिए तड़पने लगा।

                              अब मैं लण्ड का पानी निकालकर लण्ड को ठंडा करने लगा लेकिन ये उपाय भी ज्यादा दिन तक नहीं चल पाया।मेरा लण्ड चूत के लिए बहुत ज्यादा तड़प रहा था।अब मैं चूत की तलाश करने लगा तभी मेरी नज़र हमारे मकान मालिक की बड़ी बहु यानि महिमा भाभी पर पड़ी।महिमा भाभी एकदम मस्त भरी भरी शानदार औरत  है। जवानी अभी भी उनके ऊपर हिलोरे मार रही है।

                               महिमा भाभी लगभग 40 साल की है।वो एकदम गौरे चिकने जिस्म की मालकिन है।महिमा भाभी दो बच्चों की मां है लेकिन फिर भी उन पर भरपूर जवानी छाई हुई है।महिमा भाभी के बूब्स लगभग 34 साइज के है।भाभी कभी भी अपने बूब्स के नज़ारे नहीं दिखाती है।हमेशा अपने बूब्स को ढककर रखती है। भाभी के बूब्स को देख देखकर मेरा लण्ड कांप जाता था। दिल करता था कि भाभी को पटककर इनके बूब्स को खूब चुसु।

                         भाभी की चिकनी कमर लगभग 32 साइज की है।भाभी की चिकनी कमर पर उनका गौरा चिकना पेट भाभी को और ज्यादा सेक्सी बनाता है।भाभी की मदमस्त गांड लगभग 34 साइज की है।भाभी की गांड का नज़ारा उनकी साड़ी में से बहुत अच्छी तरह से दिखता है।भाभी की मटकती हुई गांड को देखकर मेरा लण्ड आग बबूला हो जाता है।

                           भाभीजी की गौरी चिकनी कलाइयां ,रसीले होंठ मुझे बार बार लण्ड मसलने पर मजबूर कर रहे थे।भाभीजी चोदने के लिए एकदम मस्त शानदार  है जो लण्ड को भरपूर मज़ा दे सकती है।

                          मेरे लण्ड की आग बुझाने के लिए अब मैं महिमा भाभी को चोदने का प्लान बनाने लगा लेकिन भाभीजी को चोदना इतना भी आसान नहीं था।एक तो भाभीजी को देखकर मुझे कभी नहीं लगा कि भाभीजी किसी भी दूसरे मर्द को अपनी चूत देगी क्योंकि भाभीजी हमेशा अपने अंग अंग को अच्छी तरह से ढककर रखती थी। दूसरी बात भाभीजी अपने पूरे परिवार के साथ रहती थी जिसमे उनकी सास,देवरानी यानि खुशबु भाभी हमेशा घर पर होती थी।

                अब मैं भाभीजी को वासना भरी नज़रो से देखने लगा।कभी कभी भाभीजी से मेरी बात होती थी तो मैं भाभीजी को अच्छी तरह ताड़कर देखता था।ऐसे ही धीरे धीरे टाइम निकलता जा रहा था लेकिन भाभीजी की चूत मुझे दूर दूर तक नज़र नहीं आ रही थी।घर में खुशबू भाभीजी के होते हुए मुझे महिमा भाभीजी की चूत मिलना मुश्किल लग रहा था।मैं भाभीजी को चोदने का सपना देखकर  लण्ड का माल निकाल रहा था।अब मैंने सोचा अगर ऐसे ही टाइम निकलता रहा तो मुझे भाभीजी की चूत कभी नहीं मिलेगी।अगर मुझे भाभीजी की चूत में लण्ड डालना है तो कुछ तो करना ही पड़ेगा।

                             अब मैंने आगे बढ़ने की सोची।भाभीजी सारे कपडे छत पर सुखाया करती थी तभी एक दिन मैंने हिम्मत करके भाभीजी की पैंटी में मेरे लण्ड का माल भर दिया और पैंटी को वापस वही रख दिया।अब मेरी गांड फटने लगी लेकिन अगले दिन भाभीजी ने कुछ नहीं कहा।मुझे कुछ समझ में नहीं आया और अगले दिन मैंने फिर से भाभीजी की पैंटी को मेरे लण्ड के माल से लथपथ कर दिया।अब भाभीजी मेरी तरफ मुंह फुलाकर रहने लगी।मतलब भाभीजी सबकुछ समझ चुकी थी।अब भाभीजी ने अगले दिन से छत पर पैंटी और ब्रा सुखाना बंद कर दिया।

                            अब मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि आगे क्या किया जाये? तभी मैंने एक दिन भाभीजी से बात करने की कोशिश की लेकिन भाभीजी ने कोई बात नहीं की।अब तो मेरा लण्ड भाभीजी की चूत के लिए बहुत ज्यादा तड़प रहा था।तभी चार पांच दिन बाद खुशबू भाभीजी अपने रिश्तेदार के यहाँ शादी में चली गई।अब मुझे भाभीजी को पेलने का मौका मिल चुका था हालांकि भाभीजी की सास अभी भी घर ही थी।

                               अब मैं भाभीजी को टच करने की हिम्मत दिखाने लगा।अब एक दिन मौका मिलने पर मैंने भाभीजी की गांड पर हाथ फेर दिया।तभी भाभीजी आग बबूला हो गई और मुझे समझाने लगी।

भाभीजी–देख रोहित तू सुधर जा और ये हरकते करना बंद कर दे नहीं तो तेरी हरकते मेरे परिवार को बता दूंगी।बहुत दिनों से मैं सहन कर रही हूं।

मैं– भाभीजी आप गुस्सा मत करो।मैं आपकी भावना को समझता हूं लेकिन मैं क्या करूँ?मैं भी तो मजबूर हूं ना।

भाभीजी–तु मजबूर है तो मै क्या करूँ? अपनी मज़बूरी कहीं और जाकर दिखा।

मैं– भाभीजी कही और जाने की हिम्मत नहीं है।मुझे तो बस आपसे ही उम्मीद है।

भाभीजी– मुझसे कोई उम्मीद मत रख।मैं ऐसी वैसी औरत नहीं हूं।मुझे अच्छे और बुरे की समझ है।

मैं–भाभीजी आग सबके अंदर लगी हुई होती है।हाँ वो अलग बात है कि कोई अपनी आग को छुपा लेती है।और भैया तो दिन रात दुकान के काम में लगे रहते है तो क्या आपकी में आग नहीं लगी है?

भाभीजी– मैं मेरे पति के साथ खुश हूँ।बस।

मैं– भाभीजी मैं जानता हूँ कि आप खुश हो लेकिन आप मेरी ज़रूरत को भी तो समझने की कोशिश करो।

भाभीजी–मैं  तेरी ज़रूरत को समझ रही हूं लेकिन मैं तेरा साथ नहीं दे सकती।।

मैं– भाभीजी प्लीज।

भाभीजी– नहीं रोहित। 

                       और इतना कहकर भाभीजी वापस अपने काम में लग गई।मैं लंड मसलता ही रह गया।आज भाभीजी से इतनी बात होने के बाद मैं भाभीजी को चोदने के लिए और ज्यादा उत्सुक हो गया।शाम को भाभीजी मुझे छत पर मिली।मैं भाभीजी को हवस भरी नज़रो से देख रहा था।भाभीजी मेरी नज़रो को ख़ामोशी से पढ़ रही थी।मैं भाभीजी को चोदने के लिए लालायित हो रहा था।तभी मैं भाभीजी के साथ छत पर घूमने लगा।

मैं– भाभीजी क्यों इतना तड़पा रही हो? दे दो ना जो मैं मांग रहा हूँ।

भाभीजी– मैं कुछ नहीं दूंगी।तू कहीं और ट्राय कर।मेरे पीछे मत पड़।

मैं– भाभीजी मैं तो आपके ही पीछे पडूंगा।मुझे तो आप ही अच्छी लगती हो।

भाभीजी– देख यार मैं तुझे समझा चुकी हूं मैं ऐसी वैसी औरत नहीं हूं।बस।

मैं– भाभीजी मान जाओ ना। घर की बात घर में ही रहेगी। आपको भी पूरा मज़ा मिलेगा और मुझे भी।

भाभीजी– रहने दे।

                               और इतना कहकर भाभीजी नीचे चली गई।मेरा लण्ड फुफकार मारता ही रह गया।मैं भाभीजी के ऊपर चढ़ना चाहता था लेकिन भाभीजी तैयार नहीं हो रही थी।

                   अब अगले दिन मैं बाथरूम में नहा रहा था।भाभीजी की सास थोड़ी सी बाहर थी।तभी मैंने मौके का फायदा उठाते हुए भाभीजी को टॉवल लाने के लिए कहा। भाभीजी नाराज़ तो थी लेकिन फिर भी मैने भाभीजी को पटाने की एक और कोशिश की।

                        फिर थोड़ी देर बाद भाभीजी टॉवल लेकर आई। जैसे ही भाभीजी टॉवल लेकर आई तो मैंने उन्हें बाथरूम में खींच लिया।

                     “रोहित, क्या कर रहा है यार। मम्मीजी यहीं है। मरवाएगा क्या!

                             तो फिर आप मान जाओ ना भाभीजी। क्यों इतना तड़पा रही हो? 

                          “अभी तो मेरा हाथ छोड़। बाद मै बताती हूं मै तुझे।”  नहीं छोड़ूंगा।

                           तभी मैने भाभीजी मेरी तरफ खीच लिया और  झट से भाभीजी के पल्लू को खींच डाला और उनके बड़े बड़े बोबो को मसल डाला।

                   हाय!क्या मस्त बोबे थे भाभीजी के!कसम से यारो मज़ा आ गया था।

                        ” रोहित, मम्मीजी आ जायेगी।” वो नहीं आएगी अभी। 

                    ” नहीं रहने दे यार।”  अब भाभीजी की ना ,ना मुझे हां में बदलती नज़र आ रही थी। अब मुझे लगने लगा था कि भाभीजी नखरे ज़रूर दिखा रही है लेकिन वो पट जायेगी।

           तभी मैंने भाभीजी के पेटिकोट में हाथ डाल दिया और भाभीजी की गरमा गरम चूत को मसल दिया।भाभीजी अपने आप को बचाने की झूठी कोशिश कर रही थी।

               “ओह रोहित, उन्ह क्या कर रहा है तू।  मम्मीजी……….।” करने दो भाभीजी। 

                   अब तो मेरा एक हाथ भाभीजी की चूत में था और दूसरा हाथ भाभीजी के बोबो को मसल रहा था।मुझे तो भाभीजी को मसलने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।तभी भाभीजी की सास की आवाज़ आई ” अरी वो बहु।”

                     तभी भाभीजी  तुरंत बाथरूम से निकल भाग गई। “पता नहीं क्या क्या करता है।”

                      मुझे भाभीजी की सास पर बहुत गुस्सा आया।उनकी वजह से आज मेरा लण्ड प्यासा ही रह गया।

                          खैर अब जो होना था हो गया।फिर थोड़ी देर बाद स्कूल से बच्चे वापस आ गए और आज भाभीजी को पेलने का मेरा प्लान फुस्स हो गया। भाभीजी का कल का गुस्सा ख़त्म हो चूका था और अब  उनकी तरफ से मुझे ग्रीन सिग्नल मिल चुका था।

            अब भाभीजी को पेलने के प्लान में उनकी सास सबसे बड़ी रोड़ा बन रही थी।मैं दो दिन तक भाभीजी की सास के इधर उधर जाने का  वेट  करता रहा लेकिन भाभीजी की सास कहीं नहीं गई। इधर भाभीजी को देख देखकर मेरा लण्ड झनझना रहा था। भाभीजी भी आजकल बहुत खुश नज़र आ रही थी।

                            फिर अगले दिन भाभीजी के सास ससुर भी खुशबु भाभी के रिश्तेदारों के प्रोग्राम में चले गए।अब भाभीजी को चोदने का मेरा रास्ता साफ हो चूका था।अब अगले दिन भैया के दुकान पर जाते ही घर में भाभीजी अकेली ही थी।कुछ देर बाद मैं भाभीजी के बैडरूम में गया।भाभीजी बेडशीट को ठीक कर रही थी।मैंने मौका देखकर तुरंत भाभीजी को बाहो में दबोच लिया और उन्हें बेड पर पटक दिया।

              अब भाभीजी नखरे दिखाने लगी और मुझे दूर हटाने की कोशिश करने लगी।

भाभीजी– रोहित तू फिर से शुरू हो गया।

मैं– भाभीजी आज मत रोको मुझे।बड़ी मुश्किल से मौका मिला है।बहुत प्यासा हूँ मैं।

भाभीजी– नहीं रोहित।रुक जाओ यार।मैं ये सब नहीं करना चाहती।

मैं– आज नहीं रुकूँगा भाभीजी।

भाभीजी– ओह यार! अब तू मेरी बात तो मानेगा नहीं। चल कर ले अब तेरे मन की  और बुझा ले तेरी प्यास।

                            तभी मैंने भाभीजी के होंठो पर मेरे प्यासे होंठ रख दिए और फिर ताबड़तोड़ भाभीजी के रसीले होंठ चूसने लगा। ऑउच्च पुच्च पुच्च ऑउच्च की आवाज़े बैडरूम में गूँजने लगी थी। ।मैं बुरी तरह से भाभीजी के होंठो को चूस रहा था।भाभीजी के होंठ चूसने में मुझे बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।मैं झमाझम भाभीजी के होंठो का रस पी रहा था।फिर थोड़ी देर में ही मैंने भाभीजी के होंठो को चूस डाला।

                         अब मैं भाभीजी के गले पर टूट पड़ा और उनके गौरे चिकने गले पर ताबड़तोड़ किस करने लगा।अब भाभीजी आतुर होने लगी और बेड की चादर को मुट्ठियों में कसने लगी।मैं भाभीजी के गले पर बुरी तरह से किस कर रहा था।अब बेचारी भाभीजी भी कब तक अपने आप को रोकती?अब भाभीजी ने मुझे बाहो में कस लिया।अब भाभीजी के मुंह से सिस्कारिया निकलने लगी।

भाभीजी–आह उन्ह आह ओह अआईईई आहउन्ह आह आईईईई।

                        अब मैंने भाभीजी को किस करते हुए मेरा लोवर और अंडरवियर खोल फेंकी।अब मैं भाभीजी पर बैठ गया और मेरा मोटा तगड़ा लण्ड भाभीजी के मुंह में डालने लगा लेकिन भाभीजी ने मुंह नहीं खोला। 

                   भाभीजी बहुत ज्यादा शरमा रही थी।   फिर मैंने भाभीजी का मुंह खोला और उसमें लंड डाल दिया।अब कुछ देर तो भाभीजी चुप रही फिर थोड़ी देर बाद भाभीजी की जीभ मेरे लंड पर घूमने लगी।

                     अब भाभीजी धीरे धीरे मेरा लण्ड चूस रही थी।भाभीजी को लण्ड देने में मुझे बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।फिर भाभीजी ने थोड़ी देर मेरा लण्ड चूसा।अब मैंने भाभीजी के मुंह से लंड बाहर निकाला और मैं झट से भाभीजी की टांगो में आ गया।अब मैं भाभीजी के पेटिकोट में हाथ डालकर भाभीजी की पैंटी खोलने लगा। तो भाभीजी ने तुरंत मुझे रोक दिया।

भाभीजी– नहीं रोहित,अब आगे कुछ मत कर।

मैं– भाभीजी अब ये रुकने का टाइम नहीं है।करने का टाइम है।

भाभीजी– सबकुछ लूटकर मानेगा आज तो तू।

                   “हां भाभीजी।”

                             तभी मैंने भाभीजी के हाथ को हटाया और तुरंत भाभीजी की पैंटी को खोल फेंका।अब भाभीजी की चूत नंगी हो चुकी थी।अब मैंने तुरंत भाभीजी की साड़ी और पेटिकोट को उनके पेट पर पलट दिया लेकिन भाभीजी ने वापस उन्हें घुटनो पर सरका दिया।भाभीजी अभी भी चूत को ढकने की कोशिश कर रही थी।

                            अजब गजब नज़ारा था यारो जिस भाभीजी की आज तक मैंने सही तरीके से शक्ल भी नहीं देखी थी आज मैं उन्ही भाभीजी की सबसे कीमती चीज़ को देख रहा था।ये लंड भी पता नहीं क्या क्या करवा देता है।

                            भाभीजी बहुत ज्यादा शरमा रही थी।शायद आज वो पहली बार किसी गैर मर्द को अपना सबकुछ दे रही थी।इधर मेरा लंड भाभीजी के किले में मिसाइल दागने को तैयार था।अब मैंने भाभीजी की टांगो को फोल्ड कर दिया और उनकी गरमा गरम चूत के छेद में लंड सेट कर दिया।अब मैंने ज़ोरदार धक्का मारा और मेरा लंड भाभीजी की चूत के अस्थि पंजर को चीरता हुआ सीधा चूत के भूलोक के घुस बैठा।

कहानी जारी रहेगी…………………..

आपको मेरी ये कहानी कैसी लगी मुझे मेल करके ज़रूर बताये– rohitwrong24@gmail.com

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