चुदाई किसको कहते है
मैने सिर्फ़ उसकी पेंटी निकाली तो वो पीछे होने लगी. मैने फिर उसे अपनी बाहो मे जकड़ा और बेड पे पटक दिया. उसकी शक़्ल रोने जैसी हो गयी थी. मैने फिर उसे पुचकारा . . मैं खड़ा हो गया उसके सामने और मेरा लंड टेंट बनाए हुए था पॅंट मे. मैने उसे मेरा लंड पकड़ने को कहा. वो ना कहने लगी और खुद की नंगी चूत छुपाने लगी. . मैने उसका हाथ पकड़ा और अपने लंड पे घुमाने लगा और वो अपना हाथ पीछे लेने लगी. मैने उसको कहा कि तू जानती हैं ये क्या हैं.
उसने बड़ी मासूमियत से कहा; लुल्ली . इसी को आप आपी की सुसु वाली जगह में घुसाते हो रात को .
मैने उसे कहा ” छोटे बच्चो की लुल्ली होती है और इसे लंड कहते हैं और ये जो तेरे पैर के बीच हैं इसे चूत!!”. मैने उससे कहा “देखेगी लंड?”. तो वो ना कहने लगी मगर उसकी वो आखे मेरे लंड की ओर ही देखने लगी थी.
मैं समझ गया और अपने लंड को आज़ाद कर दिया. उसने एक झलक देख कर अपनी आखे बंद कर ली. अब उसके दोनो हाथ उसके चेहरे पे थे. उसने अपनी टाँगो को दबा लिया.
मैने उसे फिर से पकड़ा और अपने पास लाया और उसे बिठा दिया और टाँगे बिस्तर पर फैलाने के लिए कहा. उसने टाँगे फैलाई इस बार इसने अपनी टाँगे स्प्रेड कर ली थी. और नंगी होने की वजह से उसकी खूब सूरत चूत मेरी आखो के सामने थी.और मैं अपने दोनों हाथ जूनि के घुटनों के ऊपर… निचली जाँघों तक चलाने लगा। मैंने उससे पुछा अब दर्द कैसा है ?
वो बोली अब कम है .
मैं थोड़ा आगे हुआ और उसका तलवा अब मेरे लंड को छूने लगा था। मैं टांग और घुटने की मालिश करने लगा तो उसका दायाँ पांव अपने आप दायें-बाएं और ऊपर-नीचे होकर उसके लिंग को अच्छी तरह से से छूने लगा था। मेरे तन-बदन में चिंगारियाँ फूटने लगीं। वो टाँगे भींचने लगी जिससे लगा , वो अब खुद को रोक नहीं पा रही थी । उधर मेरी उँगलियाँ अब अंदरूनी जाँघों तक जाने लगी थीं।
मैं अब बेहिचक आगे-पीछे होते हुए अपने हाथ जूनि की जाँघों पर चला रहा था… जूनि का पैर मेरे लिंग का मर्दन कर रहा था। फिर मैं थोड़ा ज्यादा ही आगे की ओर हुआ और मेरे दोनों अंगूठे हल्के से जूनि की चूत से पल भर के लिए छू गए। जूनिएअसे काम्पी जैसे उसे कोई करंट लगा हो … वो उचक गई और उसने अपनी टांगें हिला कर मेरे हाथों को वहाँ से हटाया और अपने दोनों हाथ योनि पर रख दिए। उसे शर्म आ रही थी कि उसका सुसू निकलने वाला है ।
जूनि की साँसें तेज़ होने लगी… वो बोली मुझे ज़ोरों का सुसू आ रहा है ।
मैं उसे पकड़ कर सहारा देकर बाथरूम ले गया इस बीच मैं उसकी पीठ सहला रहा था .. उसने सुसु करने के लिए बोली मुझे शर्म आती है आप बाहर जाओ तो मैं दरवाजा ब्नद कर बाहर खड़ा हो गया . दो मिनट वाद वो लंगड़ाती हुई बाहर आ गयी ।
मैंने पुछा सुसु हो गया तो वो बोली नहीं ?
तो मैं मुस्कुराया तो वो बोली भाईजान मुझे लगा मेरा सुसु निकल जाएगा पर आया ही नहीं .
“अब दर्द कैसा है?” मैंने पूछा।
“पहले से कम है…अब मैं ठीक हूँ।”
“नहीं… तुम ठीक नहीं हो… अभी लंगड़ा रही हो आराम करो चोट इतनी नहीं है।
तभी घंटी बजी मतलब जीनत आपा वापिस आ गयी थी ..
जूनी बोली आपा आ गयी !! मैं रुक गया और इस बीच जूनी ने जल्दी से अपने कपडे पहन लिए . मैने कंबल उसे से ढक दिया मैं दरवाजा खोलने गया.
उस रात मैंने ज़ीनत आपा की बड़ी धुआंदार चुदाई की . जूनी की कमसिन चूत देखकर मैं बहुत जोश में था और मैंने सारी कसर ज़ीनत आपा पर निकाल दी क्योंकि उस दिन ज़ीनत आपा भी बहुत खूबसूरत लग रही थी . जूनी सारी रात हमारी चुदाई का नंगा नाच देखती रही .
इस तरह 10 दिन निकल गए और जूनी की चोट भी ठीक हो गयी और फिर एक दिन ज़ीनत को पीरियड्स हो गए और मैं उस रात में ज़ीनत आपा को चोद नहीं पाया और ज़ीनत के बूब्स के अंदर ही अपना लैंड डालकर अपना पानी निकाल दिया और ज़ीनत सो गयी ,
इतने में जूनि बोली भाई आज ज़ीनत आपी के अंदर नहीं घुसाया , रोज़ कितना मज़ा आता था उनको , आज कैसा ख़राब लग रहा होगा .
मैंने बोला की ख़राब तो मुझे भी लग रहा है क्योंकि मेरा लैंड भी तो कही नहीं घुस पा रहा हु ज़ीनत को पीरियड्स है ,
जूनी बोली मेरे अंदर घुसा लो में भी तो तुम्हारी दुल्हन हु .
मैंने पूछा चुदाई किसको कहते है मालूम है , वह बोली ज्यादा नहीं, कुछ आपी ने उस दिन बताया था कुछ आपने, लेकिन इतना मालूम है की दूल्हे के अलावा कोई दूसरा मर्द मुझे छूये नहीं, और जब आप आपा में घुसाते हो तो मुझे अच्छा लगता है .
कहानी जारी रहेगी
Aamir..