नमस्कार दोस्तों, यह कहानी १ साल पुरानी है जिसमें मैंने अपनी ही मालकिन की बेटी को चोदा | दोस्तों मैं एक बिहार के छोटे गॉंव में पला – बड़ा हूँ और मेरे पैदा होने कुछ महीनो बाद ही मेरा बाप भी चल बसा | मेरा नाम राज पड़ा, मैं अपनी माँ का अकेला बेटा था और मेरी ३ बहनें भी थी | हम बच्चे धीरे – धीरे माँ के उप्पर अब बोझ बनने लगे जिसके बारे में सोच मेरा दिमाक घूम जाया करता था | तभी एक दिन मेरी मुलाकात एक भईया से हुई जिन्होंने मुझे मुंबई के बड़े से मकान में नौकर का काम करने के लिए प्रस्ताव दिया | मैं जैसे – तैसे अपनी माँ और बहनों को राम – भरोसे गॉंव में छोड़ पैसे कमाने शहर आ गया | मेरी मालकिन की एक ही बेटी थी जिसका नाम पूजा था और जब हमें समय मिलता तो हम खेल भी लिया करते |अब मुझे उनके यहाँ काम करते हुए ६ साल हो चुके थे और मैं १९ साल का हो चूका था | मैं समय – समय पर अपने गॉंव में माँ के पास रुपैये भी भेजा करता था | सब – कुछ ठीक – ठाक चल रहा था पर अब मेरी जवानी की दस्थक ने मेरी आने वाली पूरी जिंदगी ही बदल दी | मैंने कभी लड़की के स्पर्श को महसूस नहीं किया था हालाकि चोदने का सारा ज्ञान मेरे दिलोदिमक में बसा हुआ था | एक दिन मेरी मालकिन एक महीने के लिए अपने किसी काम से बाहर गयी हूँ थी और एस बीच अब घर में मैं और उनकी बेटी पूजा ही अकेले रह गए थे | वो भी काफी बड़ी हो चुकी थी और उम्र में मुझसे सयानी भी | एक दिन मैं नहाने के बाद पूजा का कॉलेज जाने वक्त हुआ तो तो उसने मुझसे कहा,पूजा – राज . . आज मेरा मन नहीं है . .कॉलेज जाने का . . ! !मैं – क्यूँ मेमसाब . . चली जाइये . .! !पूजा – नहीं बस बस सोच रही थी . . क्यूँ ना आज कुछ वक्त तुम्हारे साथ गुज़ार लूँ . .??जिसपर मैंने बस चुप्पी मार ली और शान्ति से अपने कमरे में चला गया | मैं समझ चूका था की पूजा के दिमाक में अब कुछ और ही चल रहा है पर मेरे अंदर शुरुआत करने की ज़रा सी भी हिम्मत ना थी | इतने में पूजा मेरे कमरे में आई उसने केवल नीचे तौलिया पहने हुआ था और उप्पर हल्का सा कोई कपडा औढा हुआ था | मैं पूजा को देख पगला गया और शर्म के मारे अपनी मुंडी मुड़ा ली इतने में उसने मेरे चेहरे को अपनी तरफ घुमाते हुए अपने उप्पर वाले कपड़े को उठाते हुए कहा,पूजा – मैं जानती हूँ . . तुम मुझे चुपके – चुपके देखते हो . .सो लो आज कुवा खुद चलकर प्यासे के पास आया है |मैं उस वक्त कहता भी तो क्या कहता, मेरे सामने जो दो मोटे – मोटे चाँद से भी गोरे चुचे जो लेटके हुए थे | मैं सीधा खड़ा हुआ और पूजा के होठों को चूसते हुए उसके दोनों चुचों को भेंचने लगा | कुछ देर बाद मैं थोड़ा नीचे की ओर आया मुंह में भर – भर के दोनों को चूसने लग | उसके चुचे एकदम सख्त हो गए थे जिन्हें मैं लगातार थपड मारते हुए ढीले कर रहा था | अब धीरे – धीरे मेरा हाथ उसके तौलिए तक पहुंचा और मैंने आखिरकार उसके तौलिए को खोलते हुए देखा की की उसने अंदर पैंटी भी नहीं पहनी हुई थी | अब मेरे सामने पूजा बिलकुल सपाट बिलकुल नंगी खड़ी थी जिसे मैंने अपने बिसतर पर लिटाया और उसकी चुत को अपनी जीभ से सहलाने लगा जिसपर उत्सुक होकर पूजा अब उँगलियों अपनी चुत के उप्पर रगड़ते हुए चिल्लाने लगी “चोद दो राज मुझे . .भुझा दो इस रांड की प्यास” |पूजा अब मस्त वाली सिस्कारियां भर रही थी तभी मैंने अपनी अंगुलियाँ उसकी चूत में अंदर – बाहर करना शुरू कर दिया | मेरी दस मिनट की मेहनत से पूजा की पूरी की पुरी चुत गीली हो चुकी थी | पूजा ने अपनी जाँघों की पंखुड़ियों को खोल दिया और अचनक ना जाने मेरे लंड में कहाँ से इतनी ताकत आ गयी और वो एक तम तन गया और अब मेरे लंड सही उसकी चुत के मुहाने के सामने टिका हुआ था | फिर किया था मैंने आखिरी बार पूजा के चुचियों की चुस्की लेते हुए बस अपने चूतडों के ज़ोरदार के झटके से अपने लंड को उसकी चुत की गहरायी में गुम कर दिया और उसकी कसके चींख निकल पड़ी | अब मेरे मुंह से भी गाली निकल पड़ी,मैं – ले . . .माँ की लौड़ी .आज से तू मेरी कुतिया है |अब मैं अन्ध्दुन्ध बस उसकी चुत में अपने लंड की गोलियाँ ही बरसाता चला गया | वो मटक – मटक मेरे लंड को बड़े ही चाव से लेती रही और अब तो उसकी छीकें भी मज़े में परिवर्तित हो चुकी थी | मैंने अपने लंड का मुठ भी अपनी पूजा रांड मेमसाब के उप्पर ही डाल दिया और लगभग एक महीने तक मैं उसे ५० से उप्पर बार चोद चूका था | मैंने एक महीने में उसकी चुत इतनी थोक – बजायी की उसकी गांड का नाप २८ से ३२ हो गया जिससे मेरी मालकिन के आते ही हमारी रंगरलियों के बारे में पता चल गया और उन्होंने अपनी इज्ज़त बचाने के लिए अपनी बेटी पूजा की शादी मेरे साथ करवादी | अब मैं इतना आमिर हो चूका हूँ की मैंने अपनी ३ बहनों की शादी करा चुकी और अपनी माँ के साथ सुखद जीवन बिता रहा हूँ | दोस्तों आज हम पति – पत्नी है पर चुदाई के मामले में पूजा आज भी मेरी कुतिया ही है